Jharkhand News: धनबाद के गोविंदपुर स्थित मां काली का मंदिर अपनी अनोखी मान्यता और अद्वितीय पूजा पद्धति के लिए जाना जाता है। यह मंदिर न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि दूर-दराज के श्रद्धालुओं के बीच भी काफी प्रचलित है।
मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मां काली को यहां लोहे की जंजीरों से बांध कर रखा गया है। कहा जाता है इस अद्भुत रिवाज के एक पीछे गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता है, जो भक्तों को मां आदिशक्ति के प्रति अटूट आस्था से बंधे रखती है।
मंदिर के पुजारी की माने तो इस मंदिर में काली मां की मूर्ति की स्थापना के बाद यहां अक्सर अजीब घटनाएं घटने लगी। पूजा के बाद तरह-तरह की आवाजें सुनाई देने लगीं और भक्तों को अलग-अलग प्रकार के अनुभव भी होने लगे। जिससे भक्तों और स्थानीय निवासियों के बीच भय का माहौल फैल गया था।
पुजारी ने बताया कि इन रहस्यमयी घटनाओं को रोकने के लिए धार्मिक मंत्रों का सहारा लिया गया और मां काली को लोहे की जंजीरों की माला से बांधने का निर्णय लिया गया।
माना जाता है कि यह माला एक प्रतीकात्मक बंधन है, जो मां काली के अत्यधिक शक्ति को नियंत्रित करता है। जबकि यह भी स्पष्ट है कि वास्तव में कोई भी शक्ति मां काली को किसी भी बांधने में सक्षम नहीं और यह जंजीर केवल एक प्रतीकात्मक उपक्रम है। बस यह विश्वास किया जाता है कि मां काली को खुले में नहीं रखा जा सकता, क्योंकि उनकी असीमित शक्ति संसार के लिए अत्यधिक और खतरनाक हो सकती है।
बता दें कि यह मंदिर वर्ष 1995 में स्थापित किया गया था और तब से यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस पवित्र मंदिर में जो भी भक्त सच्चे हृदय से जो भी मन्नतें मांगता हैं, माँ उसे अवश्य ही पूरा करती है। इसी विश्वास ने न केवल धनबाद, बल्कि अन्य राज्यों के भी भक्तों को अपनी ही आकर्षित किया है।
भक्तों का यह भी मानना है कि मां काली की शक्ति इस स्थान पर काफी प्रबल रहती है। मंदिर में पूजा करने के बाद भक्तों को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं।
पुजारी कि मने तो इस मंदिर में मां काली की साक्षात उपस्थिति को महसूस करना एक अद्भुत अनुभव है। कभी-कभी तो कुछ भक्तों को यह भी अनुभव होता है कि मां प्रतिमा डोल रही है और यह घटना भी मंदिर की विशेषताओं में से एक है।
कुल मिलाकर मां काली की प्रतिमा पर डाली गई जंजीर की माला को केवल एक हार के रूप में ही देखा जाना चाहिए। इस जंजीर के बंधन में कोई भी ऐसी शक्ति नहीं, जो मां को बांध सके, यह सिर्फ एक धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
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