बिहार में एक के बाद एक हो रही परीक्षा पेपर लीक की घटनाओं में Sanjeev Mukhiya का नाम अब ‘सुपर मास्टरमाइंड’ के रूप में उभर कर सामने आया है।
BPSC टीआरई-3, NEET UG 2024 और अब 21391 सिपाही बहाली परीक्षा — इन तीनों मामलों में पेपर लीक की कड़ी कनेक्टिविटी का खुलासा हुआ है, जिसकी जड़ें संजीव मुखिया गिरोह तक पहुंचती हैं।
ईओयू की जांच में खुलासा: एजेंसियों से मिलीभगत कर लीक हुआ सिपाही भर्ती का पेपर
आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि अक्टूबर 2023 में हुई सिपाही भर्ती परीक्षा का प्रश्नपत्र संजीव मुखिया के गिरोह ने ही लीक किया था। गिरोह ने प्रश्नपत्रों की प्रिंटिंग, पैकेजिंग और कोषागारों तक पहुंचाने की प्रक्रिया में संलग्न एजेंसी से मिलीभगत कर यह कांड अंजाम दिया।
जांच के अनुसार, परीक्षा से चार दिन पहले ही प्रश्नपत्र को मोतिहारी भेजे जाने के क्रम में पटना में रोककर उसकी तस्वीरें खींची गईं। बाद में उन्हीं तस्वीरों से प्रश्न हल कर ‘आंसर की’ अभ्यर्थियों को पैसे लेकर बेची गई।
Sanjeev Mukhiya: फर्जी एजेंसी और पुराना आपराधिक इतिहास
सिपाही भर्ती के लिए केंद्रीय चयन पर्षद ने कोलकाता की कंपनी कैलटेक्स मल्टीवेंचर प्रा. लि. को प्रश्न पत्र प्रिंटिंग का जिम्मा सौंपा था। लेकिन EOU की जांच में यह कंपनी फर्जी निकली। उसके पंजीकृत कार्यालय पर मात्र एक कमरा पाया गया, जो किसी प्रकार की प्रिंटिंग सुविधा नहीं रखता।
कैलटेक्स ने यह कार्य आउटसोर्स कर दिया था ‘ब्लेसिंग सिक्योर प्रेस प्रा. लि.’ को, जो गिरफ्तार अभियुक्त कौशिक कर की कंपनी है। कौशिक कर पहले भी उत्तर प्रदेश में एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा लीक कांड में आरोपित रह चुका है।
Sanjeev Mukhiya नेटवर्क पर ईडी की छापेमारी
पेपर लीक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। गुरुवार को पटना और रांची में संजीव मुखिया और उसके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की गई।
इसमें संजीव मुखिया के बेटे डॉ. शिव और नीट पेपर लीक मामले में आरोपी सिकंदर यादवेंदु के ठिकानों पर रेड डाली गई।
ईडी ने EOU की एफआईआर को आधार बनाते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। माना जा रहा है कि पेपर लीक से अर्जित अवैध कमाई को रियल एस्टेट, स्वास्थ्य और शिक्षा सेक्टर में निवेश किया गया है।
शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल
लगातार हो रहे पेपर लीक कांडों से बिहार की परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया है।
- अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर है
- लाखों युवाओं की मेहनत बेकार हो रही है
- प्रशासन की परीक्षा संचालन प्रणाली की कमजोरियां उजागर हो रही हैं
संजीव मुखिया अब बिहार के लिए महज एक अपराधी नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था का दुश्मन बन चुका है। सिपाही भर्ती से लेकर राष्ट्रीय स्तर की नीट परीक्षा तक उसकी संलिप्तता यह बताती है कि माफिया अब शिक्षा के सबसे पवित्र मंचों तक पहुंच चुके हैं।
अब जरूरत है तेज़, पारदर्शी और कठोर कार्रवाई की, जिससे ना सिर्फ आरोपी सलाखों के पीछे पहुंचे, बल्कि भविष्य में ऐसे नेटवर्क पनप ही न सकें।