पटना: केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख Chirag Paswan ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
इस बार चिराग ने सड़क हादसों में मुआवजा देने की नई व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सीएम नीतीश को पत्र लिखकर नई प्रणाली को पीड़ितों के लिए कष्टदायक बताया और पुरानी व्यवस्था को फिर से लागू करने की मांग की है।
चिराग ने अपने पत्र में कहा है कि पहले डीएम या एसडीएम स्तर पर ही पीड़ित परिवार को त्वरित राहत राशि दी जाती थी, जिससे मुश्किल वक्त में उन्हें आर्थिक सहारा मिल जाता था। लेकिन अब मुआवजा परिवहन विभाग के जरिए संबंधित वाहन मालिक या बीमा कंपनी से वसूली के बाद ही मिलेगा, जिसके लिए दावा न्यायाधिकरण (क्लेम ट्रिब्यूनल) की प्रक्रिया से गुजरना होता है। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी और समय-साध्य प्रक्रिया है, जिससे तत्काल राहत मिलना अब लगभग असंभव हो गया है।
Chirag Paswan News: हाजीपुर की सड़कों को लेकर भी पत्र
चिराग पासवान ने नगर विकास एवं आवास मंत्री जिवेश कुमार को भी एक अलग पत्र लिखा है, जिसमें हाजीपुर शहर और उसके आसपास की जर्जर सड़कों की स्थिति पर चिंता जताई गई है। उन्होंने इन सड़कों की शीघ्र मरम्मत और पुनर्निर्माण की मांग की है।
Chirag Paswan News: राज्य सरकार पर बढ़ा रहे हमले, विधानसभा चुनाव के संकेत साफ
चिराग पासवान बीते कुछ महीनों से बिहार सरकार के खिलाफ लगातार मुखर हो रहे हैं। चाहे वह मुजफ्फरपुर की दलित बच्ची की अस्पताल में इलाज के अभाव में मौत का मामला हो या अब सड़क हादसे के पीड़ितों से जुड़ी नीतिगत असहमति—चिराग राज्य सरकार को सिस्टम फेलियर बताने से नहीं चूक रहे।
विशेष रूप से यह स्पष्ट हो रहा है कि चिराग 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी में हैं। उन्होंने हाल ही में आरा में एक बड़ी रैली की थी और अब 29 जून को सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के राजगीर में अपनी पार्टी की बड़ी शक्ति-प्रदर्शन रैली करने जा रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषण: गठबंधन में दरार या रणनीतिक दबाव?
एनडीए गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद चिराग का नीतीश सरकार पर बार-बार हमला, यह संकेत दे रहा है कि वे या तो गठबंधन में अपनी पार्टी की स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं या भविष्य में स्वतंत्र राजनीतिक राह तलाश सकते हैं।
चिराग पासवान के पत्र और हालिया गतिविधियां बताती हैं कि वे नीतीश सरकार की जननीति और प्रशासनिक फैसलों पर खुलकर सवाल उठाकर खुद को जनता के पक्ष में खड़ा नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। विधानसभा चुनावों से पहले उनके तेवर राज्य की राजनीति को और अधिक गर्मा सकते हैं।