Patna: Bihar को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की तरफ से जारी लेखा परीक्षा प्रतिवेदन को गुरुवार को विधानसभा पटल पर रखा गया. वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने इसके बारे में सदन को विस्तृत जानकारी दी.
सूत्रों के मुताबिक प्राप्तियां एवं व्यय के बीच निरंतर संतुलन और बढ़ते राजकोषीय दबाव का संकेत देता है. आंकड़े के हिसाब से साल 2018-19 से 2022-23 के बीच राजस्व प्राप्तियां 8.46% की औसत वृद्धि के साथ है. वहीं राज्यसभा 2018-19 से 2022-23 के बीच 12.60% की वार्षिक दर से बढ़ोतरी हो रही थी.
Bihar News: आंकड़े इस प्रकार से आए सामने
साल 2018-19 से साल 2022-23 तक राजस्व प्राप्तियां 1,72,688 करोड़ हो गई है. राजस्व प्राप्तियां में सहायता अनुदान की हिस्सेदारी 2018-19 के 18.70% से कम होकर 2022-23 में 16.81% हो गई है. सेवाओं के वर्तमान स्तर को बनाए रखने एवं पिछले दायित्वों के भुगतान के लिए राजस्व व्यय किया जाता है.
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इससे राज्य की अवसरचनात्मक एवं सेवक क्षेत्र में कोई बढ़ोतरी नहीं होती. राजस्व व्यय 2018-19 के दौरान 1,24,897 करोड़ से बढ़कर 1,83,976 करोड रुपए हो गया. यह 12.60% की औसत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा था.
सकल घरेलू उत्पाद में 10.10% की हुई वृद्धि
वर्तमान मूल्य पर राज्य का जीएसडीपी 10.10% की औसत वृद्धि के साथ रहा. साल 2018-19 के5,27,976 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 7,51,396 करोड रुपए हो गया. तुलनात्मक तरीके जब विश्लेषण किया गया तो 2021-22 की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद में 15.55% की वृद्धि हुई.
राजस्व बकाए का भी हुआ विशेष जिक्र
सीएजी की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि 31 मार्च 2022 तक बिक्री, व्यापार आदि पर माल एवं यात्रियों पर कर, बिजली पर कर एवं शुल्क, वाहनों पर कर, भू राजस्व, राज्य उत्पाद, मुद्रांक व निबंध फीस, वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर एवं शुल्क बकाए 4,022.59 करोड रुपए थे. जिसमें 1300.42 करोड़ 5 सालों से ज्यादा समय से लंबित थे.