Bihar Yatra: बिहार की राजनीति में हलचल मचाते हुए आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव एक बार फिर से मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
अगस्त में ‘Bihar Yatra’ के माध्यम से वे बिहार के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे जिसमें वे अपराध, भ्रष्टाचार, आरक्षण और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग जैसे अहम मुद्दों को जनता के सामने उठाएंगे.
Bihar Yatra: बिहार में भ्रष्टाचार एवं अपराध बना बड़ा मुद्दा
बिहार में वर्तमान समय में विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए कई बड़े मुद्दे हैं. राज्य में बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार ने नीतीश सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. हत्या, बैंक लूट, और डकैती जैसी घटनाएं आम हो चुकी हैं जिससे जनता में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है. वहीं बारिश के मौसम में पुलों के बार-बार गिरने की घटनाओं ने सरकारी तंत्र की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर किया है. संजीव हंस जैसे अधिकारियों की संपत्ति का खुलासा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है.
Bihar Yatra: विशेष राज्य का दर्जा बना बिहार में बना अहम मुद्दा
विशेष राज्य का दर्जा बिहार में एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है. नीती आयोग के मापदंडों के अनुसार केंद्र सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है बावजूद इसके कि केंद्रीय बजट में राज्य के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को एक बार फिर से उठाया है और वे इसे आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने की योजना बना रहे हैं.
50% से बढ़ाकर 60% हुई आरक्षण सीमा
नीतीश कुमार सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण के बाद आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करना एक बड़ा कदम था. हालांकि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस बढ़ी सीमा पर रोक लगा दी है जिससे नियुक्तियों में अड़चन आ सकती है. इस निर्णय को आरजेडी ने भाजपा की साजिश बताया है जिसका फायदा विपक्ष जरूर उठाने की कोशिश करेगा.
यात्राके जरिए जनता की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास
तेजस्वी यादव की यह यात्रा जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनने और उनके समाधान के लिए एक मंच प्रदान करने का प्रयास है. वे इस यात्रा के माध्यम से अपने राजनीतिक संदेश को प्रदेश की जनता तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे. सूत्रों के अनुसार यह यात्रा 17 अगस्त से शुरू हो सकती है जिसका ब्लूप्रिंट लगभग तैयार हो चुका है. यह यात्रा न केवल तेजस्वी यादव के लिए बल्कि पूरे बिहार के राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.
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अब देखना यह है कि वे अपने इन मुद्दों को किस हद तक जनता के बीच प्रभावी ढंग से उठा पाते हैं और इसका राजनीतिक परिणाम क्या होता है.