Ranchi News: आदिवासी दिवस, जिसे अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (International Day of the World’s Indigenous Peoples) के नाम से भी जाना जाता है, विश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिवस की स्थापना का उद्देश्य आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा और उनके सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक मुद्दों के प्रति जागरूकता फैलाना है।
विश्व आदिवासी दिवस पर झारखंड की राजधानी रांची के भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क में ‘झारखंड आदिवासी महोत्सव’ 2024 की शुरूआत की गई हैं। वहीं महोत्सव में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार मुख्य अतिथि और शिबू सोरेन विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थीत रहे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कार्यक्रम की अध्यक्षता की, और आपको बता दे की ये महोत्सव दो दिवसीय कार्यकर्म है। महोत्सव में आदिवासी कला, संस्कृति, जीवनशैली, संगीत और नृत्य को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, 12 पुस्तकों का विमोचन और वन अधिकार पट्टा भी जारी किया गया। झारखंड समेत अन्य राज्यों के कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी देंगे।
मिजोरम और ओडिशा समेत कई राज्यों के कलाकार देंगे प्रस्तुति
झारखंड आदिवासी महोत्सव 2024 में मिजोरम, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, असम, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों से कलाकारों की प्रस्तुति होगी. मंच के पीछे झारखंड में आदिवासियों के ग्रामीण दर्शन को उकेरा गया है. झारखंड एवं अन्य राज्यों से आये चित्रकार, चित्रकला के माध्यम से झारखंड की आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को कैनवास पर उकेर रहे हैं.
World Tribal Day का इतिहास
इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1994 में की गई थी। 9 अगस्त का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1982 में संयुक्त राष्ट्र के उपभोक्ता संरक्षण पर आदिवासी मुद्दों पर काम करने वाले पहले कार्यदल की पहली बैठक हुई थी। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों के साथ हो रहे अन्याय, भेदभाव, और उनके अधिकारों की उपेक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करना है।
World Tribal Day का उद्देश्य
भारत में, आदिवासी दिवस के अवसर पर विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के लोग अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से इस दिवस को मनाते हैं। यह दिन उन्हें अपनी संस्कृति और पहचान को बनाए रखने के साथ-साथ सरकार और समाज से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग करने का अवसर भी देता है।
इस दिन का उद्देश्य आदिवासी समुदायों की अनूठी संस्कृति, परंपराओं और उनके योगदान को सम्मानित करना है। साथ ही, यह दिन समाज में उनके सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए जागरूकता फैलाने का भी कार्य करता है।
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