Saturday, July 5, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeTV45 NewsAIMIM की बेचैनी- महागठबंधन में शामिल होने की जद्दोजहद, ओवैसी की पार्टी...

AIMIM की बेचैनी- महागठबंधन में शामिल होने की जद्दोजहद, ओवैसी की पार्टी को क्यों नहीं मिल रही ‘इंट्री’?

Patna: AIMIM: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। विपक्षी दलों का गठजोड़ यानी महागठबंधन (MGB) एक बार फिर एकजुट होकर भाजपा को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है।

 

लेकिन अंदरखाने सीट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है। इसी बीच AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी इस गठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर रही है, लेकिन उन्हें भाव नहीं मिल रहा।

AIMIM की कोशिशें और लालू-तेजस्वी की बेरुखी

AIMIM प्रमुख ओवैसी बिहार में मुस्लिम वोटबैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। 2020 के चुनाव में सीमांचल क्षेत्र में उनकी पार्टी को पांच सीटों पर जीत भी मिली थी, जिससे उनका मनोबल बढ़ा है। इस बार वे चाहते हैं कि उनकी पार्टी को भी महागठबंधन में जगह मिले ताकि भाजपा के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाया जा सके. हालांकि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव अभी तक AIMIM को गठबंधन में शामिल करने को तैयार नहीं दिख रहे।

उनका मानना है कि AIMIM की मौजूदगी से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है, जिससे फायदा भाजपा को मिल सकता है। यही वजह है कि ओवैसी को महागठबंधन से दूर रखा जा रहा है।

कांग्रेस और वामदलों की भी चुप्पी

महागठबंधन के अन्य घटक दल जैसे कांग्रेस और वामदल भी ओवैसी की पार्टी को लेकर कोई स्पष्ट रुख नहीं दिखा रहे। जहां कांग्रेस सीमांचल में अपने पुराने जनाधार को बचाने में जुटी है, वहीं वामदल AIMIM की विचारधारा से सहज नहीं हैं। ऐसे में ओवैसी की कोशिशें अब तक रंग नहीं ला पाई हैं।

क्या AIMIM अकेले चुनाव लड़ेगी?

महागठबंधन में शामिल न होने की स्थिति में ओवैसी की पार्टी सीमांचल क्षेत्र में अकेले चुनाव लड़ सकती है। इसका नतीजा मुस्लिम वोटों के बिखराव के रूप में सामने आ सकता है, जो अंततः भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, ओवैसी इसे धर्मनिरपेक्ष ताकतों की विफलता बता सकते हैं कि वे सभी को साथ लेकर नहीं चल पा रहे।

गठबंधन की राजनीति में भरोसे की परीक्षा

AIMIM की महागठबंधन में एंट्री को लेकर मची उठापटक ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। क्या मुस्लिम समुदाय के हितों को लेकर सभी दल एकजुट होंगे? या फिर राजनीतिक स्वार्थों की वजह से फिर से वोटों का बिखराव होगा? यह तय करेगा आने वाला चुनाव। फिलहाल, ओवैसी की बेचैनी और महागठबंधन की बेरुखी बिहार के सियासी पटल पर एक दिलचस्प अध्याय बन चुकी है।

 

 

 

 

 

यह भी पढ़े: Kamal Kaur Bhabhi हत्याकांड में नया मोड़, दुष्कर्म की जांच के लिए भेजे गए सैंपल

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisment

- Advertisment -spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Most Popular

Recent Comments