Palamu News: पलामू जिले के पांकी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पूर्वी टोला कोनवाई के स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर हैं। कभी भी बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात है की नदी में बाढ़ आने के बाद स्कूली बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते हैं।
यदि बच्चे नदी पार कर विद्यालय चल गए और विद्यालय छुट्टी के समय में नदी में बाढ़ आ जाता है तो स्कूली बच्चे विद्यालय में ही पानी कम होने की इंतजार घंटों करते हैं। जब नदी में पानी कम होता है, तब बच्चे नदी पार कर स्कूल से अपने घर लौटते हैं। यह एक दिन की कहानी नहीं है। हर दिन बच्चों को नदी पार कर स्कूल आना पड़ता है। कंधे पर बैग लिए बच्चे पढ़ने के लिए रोजाना नदी पार कर स्कूल जाते हैं। बच्चों के अभिभावकों को रोज इनके लौटने तक डर बना रहता है कि उनका बच्चा सही सलामत घर वापस लौट आए।
बच्चों ने बताया कि इसी तरह हर दिन नदी पार कर स्कूल आते जाते है। नदी पार करने के दौरान बच्चों में हमेशा डर बना रहता है। स्कूली बच्चों ने बताया कि नदी में बाढ़ आने के बाद बच्चे स्कूल नहीं पंहुच पाते हैं। कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि स्कूल छुट्टी होने के दौरान नदी में बाढ़ आ जाता है तो ऐसे में बच्चे स्कूल में ही पानी कम होने का इंतजार करते हैं। नदी में जब पानी कम हो जाता है तो बच्चे किसी तरह नदी पार कर घर लौटते हैं।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय पूर्वी टोला कोनवाई
बता दें कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय पूर्वी टोला कोनवाई में 109 बच्चे नामांकित है। हमेशा 80 – 90 बच्चों की उपस्थिति स्कूल में रहता है। शिक्षक की बात करें तो इस विद्यालय में दो महिला शिक्षक कार्यरत हैं, जो हमेशा स्कूल का संचालन सही तरीके से करते हैं। बताया जाता है की उत्क्रमित मध्य विद्यालय पूर्वी टोला कोनवाई में अन्य विद्यालयों की उपेक्षा यहां बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलता है। यहीं कारण हैं कि बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर पढ़ने के लिए स्कूल तक आते हैं। यहां वर्ग पहला से सातवीं तक कक्षाएं संचालित होती है।
अधिक बारिश होने से बढ़ जाती है परिजनों की चिंता
उत्क्रमित मध्य विद्यालय पूर्वी टोला कोनवाई का भवन नदी किनारे बना हुआ है। विद्यालय तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। नदी पार कर स्कूल आना जाना रहता है। विद्यालय के बच्चों के साथ – साथ गांव के लोगों ने बताया कि स्कूल आने – जाने में बच्चों को काफी परेशानी होती है। बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल आते – जाते है। ऐसे में हमेशा डर बना रहता है कि बच्चे घर सुरक्षित लौटे की नहीं। नदी में हमेशा पानी का तेज बहाव रहता है। स्कूली शिक्षक भी नदी पार करते हुए बच्चों को लेकर चिंचित रहते हैं।
अब देखना यह है की जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने वाले बच्चों के कठिन रास्ते को संगम बनाने के लिए प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाया जाता है? बताते चले कि सपनी नदी के तट पर स्कूल होने के कारण से बरसात के दिनों में काफी परेशानी होता है। लोग कहते हैं कि गर्मी और ठंड के मौसम में जैसे तैसे बच्चे तो स्कूल पंहुच जाते है। मगर बरसात में बच्चों को नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है।
तीन सौ फीट पीसीसी सड़क बन जाने से बच्चों को मिलेगी राहत
गांव के ग्रामीणों ने बताया कि करीब तीन सौ फीट पीसीसी सड़क का निर्माण हो जाने के बाद स्कूली बच्चों को कुछ राहत मिल जाएगी। पीसीसी सड़क बनने के बाद बच्चों को नदी पार नहीं करना पड़ेगा। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल के पश्चिम तरफ कच्चा का रोड हैं। लेकिन वह चलने लायक नहीं है। कीचड़ और गड्ढे में उक्त सड़क तब्दील है। ऐसे में बच्चों को मजबूरन नदी पार कर स्कूल आना और जाना रहता है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार पंचायत के मुखिया और स्थानीय जनप्रतिनिधि से स्कूल तक सड़क बनवाने की मांग किया गया लेकिन आज तक किसी के द्वारा कोई पहल नहीं किया गया।
सड़क बनवाने के लिए हर तरह से किया जा रहा प्रयास : मुखिया के पति
इस संबंध में जब कोनवाई पंचायत के मुखिया के पति बृजदेव सिंह से दूरभाष पर बात किया गया तो उन्होंने बताया कि यह सच बात है कि जान जोखिम में डालकर बच्चे नदी पार कर स्कूल आते – जाते है। यह उन्हें भी चिंता है कि स्कूल तक सड़क नहीं होने के कारण बच्चे जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल जाते हैं। बताया कि उनके पास इतना बड़ा फंड नहीं है कि वह सड़क बन सके। स्कूल तक सड़क बनवाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। जिला प्रशासन को भी अवगत कराया गया है। फंड उपलब्ध होते ही स्कूल तक जाने के लिए सड़क बनवाने का कार्य करेंगे।
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