Hindenburg Report की नई रिपोर्ट ने भारतीय निवेश जगत में हलचल मचा दी है जिसमें भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
इस रिपोर्ट के बाद विपक्षी दलों और कई विशेषज्ञों ने माधवी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग की है ताकि निवेशकों का विश्वास बना रहे.
Hindenburg Report: यह निवेशकों के विश्वास को तोड़ सकता है: अर्थशास्त्री गेलट्रूड
अर्थशास्त्री और व्यापार विश्लेषक डैनियल गेलट्रूड ने इस मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि SEBI की प्रमुख का नाम इस तरह के घोटाले से जुड़ा होगा तो यह निवेशकों के विश्वास को गहरा धक्का पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा “अगर बाजार नियामक के प्रमुख ही संदेह के घेरे में आते हैं तो यह निवेशकों के विश्वास को तोड़ सकता है और इससे भारत में विदेशी निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.”
डैनियल ने सुझाव दिया कि माधवी पुरी बुच को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए ताकि सेबी की साख और निवेशकों का भरोसा बना रहे.
Hindenburg Report: माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने सभी आरोपों को निराधार करार दिया
इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने सभी आरोपों को निराधार करार दिया है. उन्होंने एक संयुक्त बयान में स्पष्ट किया कि जिन विदेशी कोषों में निवेश का आरोप लगाया जा रहा है वह 2015 में सिंगापुर में रहने के दौरान किया गया था जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति से काफी पहले की बात है.
उन्होंने यह भी बताया कि सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष निष्क्रिय हो गए थे और उन्होंने अपने सभी संभावित हितों के टकराव से खुद को अलग रखा है.
सेबी ने भी अपनी चेयरपर्सन का बचाव करते हुए कहा कि माधवी पुरी बुच ने समय-समय पर सभी संबंधित जानकारी दी है और अडानी समूह के खिलाफ सभी आरोपों की पूरी जांच की है. सेबी ने निवेशकों से आग्रह किया कि वे शांत रहें और सोच-समझकर अपने निर्णय लें.
यह भी पढ़े: Purnia Tanishq ज्वैलरी शोरूम लूट: CCTV में कैद कपड़ों को जलाया अपराधियों ने
इस मामले ने देश में निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों के बीच गहरा विवाद खड़ा कर दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है.