Dark Web Lite: टेलीग्राम एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गया है जब इसके CEO पावेल ड्यूरोव को फ्रांस की राजधानी पेरिस में गिरफ्तार कर लिया गया.
उन पर आरोप है कि उन्होंने प्लेटफॉर्म पर हो रही आपत्तिजनक गतिविधियों पर पर्याप्त मॉडरेशन प्रक्रिया लागू नहीं की. यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि टेलीग्राम को दुनियाभर में एक ऐसे प्लेटफॉर्म के रूप में देखा जा रहा है जहां कई गैरकानूनी गतिविधियां बेधड़क संचालित हो रही है. टेलीग्राम जो अपने यूजर्स की प्राइवेसी के लिए कई अत्याधुनिक फीचर्स प्रदान करता है दुनियाभर में काफी पॉपुलर हो चुका है.
लेकिन यही फीचर्स अब इसके लिए सिरदर्द बन गए हैं. लीक डेटा, पाइरेटेड मूवीज, मैलवेयर बेचने जैसी गतिविधियों के कारण इसे “Dark Web Lite” के नाम से भी जाना जाने लगा है. यानी डार्क वेब पर जो काम होते हैं उनमें से कई टेलीग्राम पर खुलेआम किए जा रहे हैं.
Dark Web Lite: चोरी का डेटा और आतंकवाद से जुड़े खतरे
भारत जैसे देशों में भी टेलीग्राम की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है लेकिन इसके साथ ही यहां इसके गलत इस्तेमाल के मामले भी बढ़े हैं. जानकारी के मुताबिक कुछ दिनों पहले ही कोलकाता रेप मामले के वीडियो को इस प्लेटफॉर्म पर सर्कुलेट किया जा रहा था जिसके बाद देशभर में इसकी निंदा की गई. चोरी का डेटा, मैलवेयर और यहां तक कि आतंकवादी संगठनों द्वारा अपने टार्गेट की लिस्टिंग भी इसी प्लेटफॉर्म पर की जाती है.
Dark Web Lite: सरकार की सख्ती एवं मॉडरेशन की कमी
टेलीग्राम पर चाइल्ड पॉर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट भी पाए गए हैं जिसकी वजह से भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड IT ने साल 2023 में नोटिस भी जारी किया था. इसके बावजूद टेलीग्राम पर मॉडरेशन की प्रक्रिया उतनी सख्त नहीं है जितनी होनी चाहिए.
आखिर क्या है समाधान?
टेलीग्राम की प्राइवेसी और सुरक्षा फीचर्स जहां इसके यूजर्स के लिए फायदेमंद साबित होते हैं वहीं इनके गलत इस्तेमाल के कारण यह प्लेटफॉर्म विवादों में आ जाता है.
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पावेल ड्यूरोव की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या टेलीग्राम अब पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो चुका है? और अगर हां तो क्या इसे “Dark Web Lite” कहना सही होगा? आने वाले समय में देखना होगा कि टेलीग्राम किस तरह से इन विवादों से निपटता है और क्या वह प्लेटफॉर्म पर हो रही गैरकानूनी गतिविधियों पर कड़ा अंकुश लगाने में सफल हो पाता है. फिलहाल इस मामले में सरकारों और नियामक संस्थाओं की सख्ती बढ़ती नजर आ रही है.