Supreme Court ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी सहयोगी प्रेम प्रकाश को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में राहत देते हुए जमानत प्रदान की है.
यह मामला अवैध खनन से जुड़ा हुआ है जिसमें ईडी द्वारा प्रेम प्रकाश पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। इस फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में भी जमानत देना एक नियम है जबकि आरोपी को जेल में रखना अपवाद है.
बेंच के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने साफ किया कि किसी भी व्यक्ति को उसकी आजादी से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को जेल में रखने का फैसला तभी लिया जा सकता है जब यह कानून द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं के तहत उचित और वैध हो.
इस मामले में प्रेम प्रकाश ने हिरासत में रहते हुए एक अन्य भूमि घोटाले में अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पीएमएलए की धारा 50 के तहत हिरासत में दिए गए बयान अदालत में स्वीकार्य नहीं माने जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्णय को किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें प्रेम प्रकाश की जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया था. कोर्ट ने यह भी कहा कि पीएमएलए के तहत भी यह स्पष्ट है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है. यह महत्वपूर्ण फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा दो साल पहले 2022 में दिए गए उस फैसले को दोहराता है जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में जमानत को प्राथमिकता दी गई थी.
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इस फैसले के बाद प्रेम प्रकाश को जमानत मिल गई है और कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत को मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया है.