Anna Hazare: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में अपने इस्तीफे की घोषणा कर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
उनके इस अचानक फैसले पर न केवल राजनीतिक दलों बल्कि समाजसेवी अन्ना हजारे की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। अन्ना हजारे, जो कभी केजरीवाल के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं, ने केजरीवाल के इस फैसले पर अपनी निराशा जताई।
Anna Hazare का बयान
अन्ना हजारे ने कहा, “मैंने पहले ही अरविंद को सलाह दी थी कि राजनीति में मत जाओ, समाज सेवा से बड़ा कोई काम नहीं है। हमने कई साल एक साथ काम किया, और उस दौरान मैंने उनसे बार-बार कहा कि राजनीति में मत जाओ। समाज सेवा में आनंद है, और मैं उसी आनंद में जीता हूं। अब जो होना था, वह हो गया। उनके दिल में क्या है, मैं नहीं जानता।”
अन्ना हजारे की यह टिप्पणी उनके और केजरीवाल के बीच वैचारिक मतभेद को दर्शाती है, जहां हजारे ने राजनीति को छोड़ समाज सेवा पर जोर दिया।
अरविंद केजरीवाल की प्रतिक्रिया
अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे, और अगला चुनाव जीतने पर ही फिर से मुख्यमंत्री पद संभालेंगे। उन्होंने कहा, “जब मैं जेल में था, तो भाजपा के नेताओं ने मुझसे पूछा कि मैंने अपने पद से इस्तीफा क्यों नहीं दिया। अब मैं आपसे पूछता हूं, क्या आप मुझे गुनहगार मानते हैं या ईमानदार? जब तक जनता अपना फैसला नहीं देती, मैं इस कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।”
कांग्रेस और भाजपा की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता उदित राज ने इस इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कदम सहानुभूति बटोरने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा, “अगर केजरीवाल को इस्तीफा देना था, तो वह जेल जाते समय दे सकते थे। अब इस्तीफे की घोषणा करने का कोई खास मकसद हो सकता है। यह उनका आंतरिक मामला है, लेकिन इसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ उठाना हो सकता है।”
वहीं, भाजपा सांसद योगेंद्र चांदोलिया ने इसे सुप्रीम कोर्ट के दबाव का परिणाम बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल अब अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने की योजना बना रहे हैं। चांदोलिया ने कहा, “दिल्ली की जनता अब केजरीवाल के नाटक को समझ चुकी है। यह इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कारण है, जिसने उनकी सभी शक्तियों को सीमित कर दिया है।”
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा ने दिल्ली की राजनीति में नए समीकरण खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर उनके आलोचक इसे राजनीतिक चाल बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके समर्थक इसे उनके ईमानदार और साफ-सुथरी राजनीति का प्रमाण मानते हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनावों में जनता केजरीवाल के इस कदम को किस नजरिए से देखती है और क्या वाकई वह फिर से मुख्यमंत्री पद पर लौटते हैं।