क्या Arvind Kejriwal ने भी दोहराई नीतीश कुमार और हेमंत सोरेन की गलती?

देश की राजधानी दिल्ली में हाल ही में हुए राजनीतिक फेरबदल ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर अपनी करीबी और विश्वासपात्र आतिशी मर्लेना को दिल्ली की बागडोर सौंप दी है।

तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही आतिशी मर्लेना

आतिशी मर्लेना अब दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। हालांकि, इस फैसले ने कई राजनीतिक विश्लेषकों को अचंभित कर दिया है और सोशल मीडिया पर भी उनकी तुलना बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और झारखंड के चंपई सोरेन से की जा रही है।

यह तुलना इसलिए हो रही है क्योंकि मांझी और सोरेन, दोनों ही नेताओं को एक समय पर सत्ता सौंपने के बाद, वास्तविक शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता कहीं और ही केंद्रित रही। नीतीश कुमार और हेमंत सोरेन ने जब मांझी और चंपई सोरेन को सत्ता सौंपी थी, तब राजनीतिक समीकरण और आंतरिक संघर्षों के कारण वे लंबे समय तक अपनी स्थिति को मजबूत नहीं कर पाए थे।

अरविंद केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद से ही आतिशी मर्लेना को जिम्मेदारी सौंप दी थी, और जब वे खुद जेल गए, तो उनके अधिकारों में और वृद्धि हो गई। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने औपचारिक रूप से आतिशी को दिल्ली का मुख्यमंत्री पद सौंप दिया, लेकिन सभी को पता है कि असली शक्ति और नियंत्रण केजरीवाल के पास ही रहेगा। दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी अनजाने में इस तथ्य को उजागर कर दिया है।

इससे यह सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल ने वही गलती की है जो नीतीश कुमार और हेमंत सोरेन ने की थी? आतिशी मर्लेना के सामने एक कठिन चुनौती होगी कि वे खुद को केवल एक नाममात्र की मुख्यमंत्री साबित न होने दें, बल्कि अपनी नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने की स्वतंत्रता को मजबूत करें।

क्या आतिशी मर्लेना भी बनेंगी अगली जीतनराम मांझी और चंपई सोरेन?

दिल्ली की राजनीति में हालिया बदलावों के बाद, आतिशी मर्लेना को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद सौंपने पर विभिन्न राजनीतिक नेताओं और विश्लेषकों की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। खासकर बीजेपी के कई नेताओं का दावा है कि आतिशी का राजनीतिक भविष्य भी वही हो सकता है जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी और झारखंड के चंपई सोरेन का हुआ था।

उनका मानना है कि जैसे ही केजरीवाल ने आतिशी को सीएम बनाया है, वैसे ही भविष्य में उन्हें पद से हटाने की संभावनाएं भी हैं, और तब आतिशी भी बागी बन सकती हैं।

बीजेपी के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस घटनाक्रम को केजरीवाल की एक बड़ी राजनीतिक चाल बताया है। उनका दावा है कि अरविंद केजरीवाल का असली मकसद हरियाणा की राजनीति में प्रवेश कर वहां के मुख्यमंत्री बनने की योजना है। गिरिराज सिंह ने यह आरोप लगाया कि केजरीवाल दिल्ली और हरियाणा, दोनों राज्यों में एक साथ राज करने की कोशिश कर रहे हैं और यह कदम इसी योजना का हिस्सा है।

Arvind Kejriwal का हरियाणा की राजनीति में बढ़ता प्रभाव बीजेपी के लिए चिंता का विषय

गिरिराज सिंह का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आम आदमी पार्टी (AAP) ने हरियाणा चुनाव लड़ने की घोषणा की है, और केजरीवाल का हरियाणा की राजनीति में बढ़ता प्रभाव बीजेपी के लिए चिंता का विषय बन रहा है। वहीं, आतिशी मर्लेना को सीएम बनाए जाने पर सिंह का मानना है कि यह एक अस्थायी फैसला है, और जब केजरीवाल हरियाणा की राजनीति में सक्रिय होंगे, तो आतिशी को पद से हटाया जा सकता है।

इसके साथ ही, कई लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि अगर केजरीवाल ने भविष्य में आतिशी को कुर्सी से उतारा, तो क्या वह भी जीतनराम मांझी और चंपई सोरेन की तरह बागी हो जाएंगी? मांझी ने नीतीश कुमार से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और अब केंद्र सरकार में मंत्री हैं, जबकि चंपई सोरेन बीजेपी में शामिल होकर हेमंत सोरेन के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले हुए हैं।

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