Gumla News: भरनो प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव जौली में स्थित राजकीयकृत प्राथमिक विद्यालय जौली में शिक्षा व्यवस्था की शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। यहां बच्चों को मिलने वाली मिड-डे मील (मध्यान भोजन) किताबों को जला कर पकाया जा रहा है।
किताबों को जलावन बनाकर बना रहा खाना
गांव के इस सरकारी स्कूल में खाना पकाने के लिए गैस की जगह लकड़ी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि चूल्हे में आग जलाने के लिए बच्चों की पढ़ाई की किताबें फाड़ी और जलाई जा रही हैं।
बुधवार को रसोईया बिरसमुनी देवी द्वारा जब खाना बनाया जा रहा था, तब उन्होंने बताया:
“गैस खत्म हो गया है। मास्टर साहब ने ही यह किताबें लाकर दी थीं लकड़ी जलाने के लिए। कुछ किताबों में दीमक भी लग गई थी, इसलिए जला रही हूं।”
नामांकन 45, उपस्थिति सिर्फ 6 छात्र
इस स्कूल में कुल 45 छात्र नामांकित हैं, लेकिन बुधवार को मात्र 6 बच्चे ही उपस्थित थे। स्कूल में दो शिक्षक कार्यरत हैं — एक प्रभारी प्रधानाध्यापक राजेश खेस और एक पारा शिक्षक कुचडू उरांव। उस दिन केवल पारा शिक्षक स्कूल में मौजूद थे, जबकि प्रभारी एचएम बीआरसी कार्यालय गए हुए थे।
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नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां
राज्य सरकार द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि मध्यान भोजन गैस चूल्हे पर ही पकाया जाना चाहिए। लेकिन जौली स्कूल में इस नियम का उल्लंघन कर न केवल बच्चों के शिक्षा-संसाधनों को जलाया जा रहा है, बल्कि उनकी पढ़ाई की अनदेखी भी की जा रही है।
प्रशासन ने लिया संज्ञान
इस पूरे मामले पर प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) भरनो अरुण कुमार सिंह ने कहा:
“मामला संज्ञान में आया है, यह बेहद गंभीर है। जांच कराई जाएगी, और अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो उचित कार्रवाई की जाएगी।”
गुमला का यह मामला न केवल शिक्षा की दुर्दशा को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बच्चों के भविष्य के साथ किस हद तक खिलवाड़ किया जा रहा है। जरूरत है कि शासन-प्रशासन इस पर त्वरित कार्रवाई करे ताकि ऐसे हालात फिर सामने न आएं।