प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में शुरू किए गए ‘Make in India’ अभियान ने 10 साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने देशवासियों का आभार व्यक्त किया और इस अभियान को सफल बनाने में योगदान देने वाले 140 करोड़ भारतीयों की सराहना की।
‘मेक इन इंडिया’ का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना, निवेश को आकर्षित करना, और नवाचार को बढ़ावा देना था। एक दशक बाद, इसके प्रभाव स्पष्ट रूप से देखे जा रहे हैं।
Make in India: मोबाइल फोन उत्पादन में बड़ी छलांग
प्रधानमंत्री मोदी ने इस सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि 2014 में, भारत में 80% मोबाइल फोन आयात किए जाते थे, जबकि अब 99.9% मोबाइल फोन का उत्पादन भारत में ही होता है। यह बदलाव केवल मोबाइल फोन तक सीमित नहीं है, बल्कि रक्षा, अंतरिक्ष, इलेक्ट्रिक वाहन, सेमीकंडक्टर और रेलवे जैसी प्रमुख क्षेत्रों में भी भारी प्रगति हुई है। इसके साथ ही, भारत अब यूके, इटली, नीदरलैंड जैसे देशों को निर्यात भी कर रहा है।
Make in India: स्टार्टअप्स की बूम: 350 से 1.48 लाख तक
‘मेक इन इंडिया’ के तहत देश में स्टार्टअप्स की संख्या में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। 2014 में जहां 350 स्टार्टअप थे, वहीं 2024 तक यह संख्या बढ़कर 1.48 लाख हो गई है। देश में हर घंटे एक नया स्टार्टअप लॉन्च हो रहा है। इस अभियान के तहत, 4.91 करोड़ से अधिक एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) पंजीकृत हुए, जिनमें से 1.85 करोड़ महिला-स्वामित्व वाले उद्यम हैं। इन इकाइयों ने 21.17 करोड़ नौकरियों का सृजन किया और भारत की जीडीपी में 30.1% का योगदान दिया।
‘मेक इन इंडिया’ से न केवल उत्पादन और रोजगार के क्षेत्र में बल्कि आधारभूत ढांचे में भी क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं। बुलेट ट्रेन परियोजनाएं, नए हवाई अड्डे, स्मार्ट शहर, सड़क और रेल नेटवर्क के विस्तार जैसे कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं इसी अभियान का हिस्सा हैं।
तकनीकी उन्नति के क्षेत्र में भी यह पहल सफल रही है। भारत अब मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी बन चुका है, और एप्पल, सैमसंग जैसी कंपनियों ने भारत में अपने विनिर्माण केंद्र स्थापित किए हैं। 2014 में जहां सिर्फ 2 विनिर्माण इकाइयां थीं, वहीं 2020 तक यह संख्या 200 से अधिक हो गई।
रक्षा में आत्मनिर्भरता का सफर
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारतीय कंपनियाँ अब अपने सैन्य उपकरण और हथियार खुद बना रही हैं। हल्के लड़ाकू विमान तेजस जैसी परियोजनाएं इस अभियान का हिस्सा हैं, जिससे भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बन रहा है।
इसके अलावा, खादी और पीएलआई योजना के तहत भी मेक इन इंडिया ने शानदार परिणाम दिए हैं। 2023-24 में खादी की बिक्री 1.55 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि पीएलआई योजना के तहत 1.28 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जिससे 8.5 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन हुआ।
‘मेक इन इंडिया’ ने देश को आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है, और यह भारत को आत्मनिर्भर और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।