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मैं जामवंत, जनता हनुमान; रावण कौन? मोतिहारी में जनसभा में बोले Prashant Kishor , बच्चों के लिए वोट की अपील

On: August 3, 2025 9:55 PM
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Prashant Kishor
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बिहार की राजनीति में जनसुराज अभियान चला रहे चुनावी रणनीतिकार Prashant Kishor (पीके) ने रामायण के प्रतीकों के जरिए अपनी नई बात रखी है।

मोतिहारी के कोटवा में रविवार को हुई विशाल जनसभा में उन्होंने खुद को “जामवंत” और जनता को “हनुमान” बताया। PK ने कहा—”मैं नेता नहीं, मार्गदर्शक हूँ; जामवंत की भूमिका में हूं। और आप सब हनुमान हैं, जिन्हें अपनी ताकत पहचाननी है और अपने बच्चों के भविष्य के लिए खुद बदलाव की शुरुआत करनी है।”

जनता हनुमान, मैं जामवंत: Prashant Kishor

प्रशांत किशोर का इशारा सीधा था—

  • जैसे रामायण में जामवंत ने हनुमान को उनकी ताकत का बोध कराया, वैसे ही मैं जनता को उसकी ताकत और अपने हक के लिए खड़े होने का संदेश देना चाहता हूं।

  • पीके ने युवाओं से कहा कि उन्हें अब दूसरों के भरोसे बैठने की बजाय अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी—”अपने बच्चों की पढ़ाई-रोज़गार के लिए वोट डालिए।”

‘रावण कौन?’: Prashant Kishor ने छोड़ा बड़ा सवाल

जनसभा में जब ‘रावण कौन’ का सवाल उठा, तो प्रशांत किशोर ने स्पष्ट रूप से किसी नेता/पार्टी का नाम नहीं लिया। उनका इशारा था कि “रावण” सत्ता का वह रूप है, जो जनता को उसका हक नहीं देता—चाहे वह कोई भी हो, चाहे वह सिस्टम की नाकामी, बेरोजगारी, पलायन, या विकास का झूठा दावा हो।

बिहार की जनता के लिए सार्थक संदेश

  • PK ने चुटकी लेते हुए कहा—”इस बार वोट किसी चेहरे (मोदी, नीतीश, लालू) नहीं, अपने बच्चों के भविष्य के नाम पर डालिए।”

  • “अगर वोट बिहार का है, तो फैक्ट्री बिहार में लगनी चाहिए, गुजरात में नहीं! हमें ट्रेनें नहीं, बिहार में रोजगार चाहिए।”

  • “युवाओं को 10-12 हजार की नौकरी के लिए पलायन नहीं करना पड़े—यही असली चुनावी मुद्दा होना चाहिए।”

लगातार कठिन मेहनत का दावा

PK ने कहा—”मैं तीन साल से गर्मी, ठंड, बरसात झेल रहा हूं ताकि बिहार के लोग खुद अपनी ताकत पहचानें और बदलाव लाएं। बारिश में भी हजारों लोग यहां आए हैं, मैं भी उनके साथ भीग रहा हूं—क्योंकि अपने लिए, अपने बच्चों के लिए सही वोट देना जानना जरूरी है।”

प्रशांत किशोर की इस नई रामायण भाषा में जनता को हनुमान और खुद को जामवंत बताना राजनीतिक संवाद में नई चेतना पैदा करने की कोशिश है। वे “रावण” की पहचान जनता पर छोड़ते हैं—यानी सत्ता, भ्रष्टाचार या गरीब विरोधी नीतियों को।
उन्होंने जनता से अपील की कि इस बार जाति-धर्म नहीं, बच्चों के भविष्य और रोज़गार के नाम पर वोट दें—ताकि असल में बिहार का विकास हो सके।

 

 

 

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