Rahul Gandhi और जलेबी की चर्चा: रोजगार और निर्यात की संभावनाएं

Rahul Gandhi News: मध्ययुगीन काल में जलेबी का भारत में आगमन फ़ारसी व्यापारियों, कारीगरों और मध्य-पूर्वी आक्रमणकारियों के माध्यम से हुआ।

ये व्यापारी अपने साथ न केवल व्यापारिक वस्तुएं लाए, बल्कि उनके द्वारा लाए गए विभिन्न व्यंजनों में जलेबी भी शामिल थी। जैसे-जैसे यह मिठाई भारत में लोकप्रिय होती गई, इसकी बनाने की प्रक्रिया भी यहां रची-बसी। 15वीं सदी के अंत में, जलेबी ने भारतीय उत्सवों, शादी समारोहों और अन्य खास अवसरों में अपनी खास जगह बना ली। मंदिरों में इसे प्रसाद के रूप में वितरित करने की परंपरा भी शुरू हुई, जिससे यह मिठाई धार्मिक और सांस्कृतिक समारोहों का अभिन्न हिस्सा बन गई।

Rahul Gandhi News: जलेबी नाम की उत्पत्ति

जलेबी का नाम कैसे पड़ा, यह भी एक दिलचस्प कहानी है। फूड हिस्टोरियन केटी आचार्या अपनी किताब “इंडियन फ़ूड: ए हिस्टोरिकल कम्पेनियन” में बताते हैं कि “हॉब्सन-जॉब्सन के अनुसार, जिलेबी शब्द स्पष्ट रूप से अरबी ‘ज़लाबिया’ या फ़ारसी ‘ज़लिबिया’ का अपभ्रंश है।”

Rahul Gandhi: भारत में जलेबी का सेवन

भारत में जलेबी का सेवन विभिन्न तरीकों से किया जाता है। उत्तर भारत में इसे दही के साथ खाया जाता है, जिससे यह एक स्वादिष्ट और ताजगी भरा संयोजन बनता है। मध्य भारत में इसे पोहे के साथ खाने की परंपरा है, जो इसे और भी खास बनाता है। गुजरात में, जलेबी को फाफड़ा के साथ परोसा जाता है, जिससे यह नाश्ते का एक लोकप्रिय विकल्प बन जाता है। इसके अलावा, इसे दूध में भिगोकर भी खाया जाता है, और कई स्थानों पर इसे रबड़ी के साथ मिलाकर पेश किया जाता है।

जलेबी, जो आज भारत की एक अत्यंत प्रिय मिठाई है, का इतिहास पर्शिया (वर्तमान ईरान) से शुरू होता है। वहाँ इसे “ज़ुल्बिया” के नाम से जाना जाता था और यह विशेष रूप से रमजान के महीने में तैयार की जाती थी। 10वीं शताब्दी में इसकी विधि का उल्लेख विभिन्न फ़ारसी और अरबी रसोई की किताबों में मिलता है। समय के साथ, जलेबी अरब देशों से होते हुए भारत पहुंच गई और यहां की संस्कृति में रच-बस गई।

भारत में जलेबी ने धीरे-धीरे अपनी विशेष पहचान बना ली। उत्तर भारत में इसे “जलेबी” कहा जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे “जेलेबी” और पूर्वोत्तर भारत में “जिलापी” के नाम से जाना जाता है। पर्शिया की ज़ुल्बिया और भारतीय जलेबी के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि ईरान में इसे शहद और गुलाब जल की चाशनी में डुबोया जाता है, जबकि भारत में इसे साधारण चीनी की चाशनी में तैयार किया जाता है।

भारतीय संस्कृति में जलेबी का विशेष स्थान

हाल ही में, हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जलेबी का उल्लेख करते हुए इसे रोजगार सृजन और निर्यात के अवसरों से जोड़ा। इसके बाद सोशल मीडिया पर जलेबी चर्चा का केंद्र बन गई, और इससे संबंधित मीम्स तेजी से वायरल होने लगे। हालांकि, यह चर्चा केवल मज़ाक तक सीमित नहीं रही, बल्कि जलेबी का भारत में एक गहरा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है।

क्षेत्रीय विविधताएं और अलग-अलग नाम

जलेबी का यह सफर पर्शिया से भारत तक एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक है। आज, यह मिठाई न केवल भारत की पहचान बन चुकी है, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों और स्वादों के साथ लोगों की पसंदीदा मिठाई के रूप में जानी जाती है। शादी, त्योहार या खास अवसरों पर जलेबी का होना लगभग अनिवार्य होता है, जो इसकी लोकप्रियता और महत्व को दर्शाता है।

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