Jharkhand Election: मांझी और चिराग ने एनडीए से अलग राह पकड़ी

Jharkhand Election: झारखंड विधानसभा चुनाव के समीकरण दिलचस्प होते जा रहे हैं, खासकर एनडीए गठबंधन के दलों के बीच।

केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी के लिए 10 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। मांझी ने स्पष्ट किया है कि यदि बीजेपी और अन्य सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनती है, तो भी उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी।

एनडीए में असमंजस की स्थिति

मांझी का यह कदम तब सामने आया है, जब एनडीए के भीतर झारखंड में सीट बंटवारे को लेकर असमंजस की स्थिति है। बीजेपी और आजसू के गठबंधन के बावजूद, मांझी की पार्टी को सीटें आवंटित नहीं हो पाई हैं, जिससे वह अपने दम पर चुनाव में उतरने के लिए तैयार दिख रहे हैं। चतरा में एक रैली के दौरान मांझी ने अपनी पार्टी की मजबूत उपस्थिति दर्ज कराते हुए कहा कि उनकी पार्टी झारखंड चुनाव में पूरी ताकत के साथ उतरेगी।

Jharkhand Election: चिराग पासवान भी कर सकते हैं स्वतंत्र चुनाव लड़ने की तैयारी

एनडीए के एक अन्य घटक दल, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने भी संकेत दिया है कि उनकी पार्टी झारखंड विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेगी। चिराग पासवान ने कहा है कि अगर बीजेपी से सकारात्मक पहल नहीं मिलती, तो उनकी पार्टी भी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। हालांकि, 2019 के चुनाव में एलजेपी का प्रदर्शन कमजोर रहा था, लेकिन इस बार चिराग पासवान ने फिर से पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने का फैसला किया है।

Jharkhand Election: एनडीए में तालमेल की कमी

मांझी और चिराग पासवान की इन रणनीतियों से यह साफ हो गया है कि एनडीए के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे और तालमेल में कमी है। अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो झारखंड चुनाव में बीजेपी के लिए यह चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। एनडीए के घटक दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने के फैसले से बीजेपी की सीटें प्रभावित हो सकती हैं, जिससे विपक्षी दलों को फायदा मिलने की संभावना है।

चुनाव पर संभावित असर

झारखंड में बीजेपी के लिए चुनावी समीकरण तब और कठिन हो जाएंगे जब उनके गठबंधन के दल स्वतंत्र चुनाव लड़ेंगे। इससे मतों का विभाजन हो सकता है, जिससे विपक्षी पार्टियों, विशेषकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस को फायदा हो सकता है। एनडीए को इस स्थिति से उबरने के लिए आपसी तालमेल और समझौतों पर ध्यान देना होगा, ताकि झारखंड में चुनावी प्रदर्शन बेहतर हो सके।

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