Akhilesh vs JDU: जयप्रकाश नारायण की जयंती पर सियासी तकरार

Akhilesh vs JDU: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और जनता दल (यूनाइटेड) के बीच इन दिनों सियासी बयानबाजी गर्म हो गई है।

अखिलेश ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एनडीए सरकार से अलग होने की सलाह दी, जिसके बाद जेडीयू ने पलटवार करते हुए अखिलेश यादव पर तीखे आरोप लगाए। जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने अखिलेश पर ‘संकीर्ण राजनीति’ करने का आरोप लगाया और कहा कि अखिलेश को जयप्रकाश नारायण की जयंती के दिन श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए थी, न कि आधी रात को।

जेडीयू ने यह भी आरोप लगाया कि अगर अखिलेश यादव ने समाजवादी विचारक जयप्रकाश नारायण के आदर्शों को सही मायनों में अपनाया होता, तो आज समाजवादी पार्टी पर एक परिवार का पूरी तरह से वर्चस्व नहीं होता। जेडीयू के इस पलटवार के बाद राजनीतिक माहौल और गर्म हो गया है।

अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान आरोप लगाया था कि उन्हें और उनके समर्थकों को जयप्रकाश नारायण की जयंती पर श्रद्धांजलि देने से रोका गया। इस पर उन्होंने योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भाजपा-नीत एनडीए सरकार से समर्थन वापस लेने की अपील की। अखिलेश का कहना था कि नीतीश कुमार ने जयप्रकाश नारायण के आदर्शों से प्रेरित होकर राजनीति में कदम रखा था, इसलिए उन्हें उस सरकार का समर्थन नहीं करना चाहिए जो समाजवादियों को ही जयंती मनाने से रोक रही है।

इस राजनीतिक बयानबाजी ने बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां दोनों राज्यों के प्रमुख नेता एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। अब देखना होगा कि इस राजनीतिक रस्साकशी का अगला कदम क्या होगा और इसके क्या परिणाम निकलेंगे।

जद (यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की टिप्पणी को ‘हैरतअंगेज’ करार दिया और उन्हें नसीहत दी कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण को केवल श्रद्धांजलि तक सीमित न रखें। उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने जीवनभर अपने आदर्शों और जीवन मूल्यों के लिए संघर्ष किया, और उनकी संपूर्ण क्रांति की अवधारणा ने व्यवस्था परिवर्तन, परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ आवाज उठाई।

राजीव रंजन का कहना था कि अगर अखिलेश यादव ने जयप्रकाश नारायण के आदर्शों का थोड़ा भी पालन किया होता, तो आज समाजवादी पार्टी पर एक परिवार का पूर्ण वर्चस्व नहीं होता।

प्रसाद ने अखिलेश यादव पर ‘संकीर्ण राजनीति’ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जयप्रकाश नारायण जैसे महामानव की जयंती पर इस तरह की राजनीति करना जनता को पसंद नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि अखिलेश को आधी रात को श्रद्धांजलि देने के बजाय, उन्हें जयंती के दिन का चयन करना चाहिए था। राजीव रंजन ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे महान नेताओं की स्मृति में जब भी कोई आयोजन होता है, उसमें संकीर्ण राजनीति का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।

इस विवाद से यह स्पष्ट है कि जेडीयू और सपा के बीच जुबानी जंग लगातार तेज होती जा रही है, और राजनीतिक मंच पर इस मुद्दे ने नई बहस को जन्म दे दिया है।

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