Patna: बिहार की राजनीति में केंद्रीय मंत्री Giriraj Singh के त्रिशूल वाले बयान के बाद सियासी तापमान तेजी से बढ़ गया है।
गिरिराज सिंह, जो इन दिनों हिन्दू स्वाभिमान यात्रा पर हैं, ने अपने बयान में कहा कि धर्म की रक्षा के लिए त्रिशूल उठाने की जरूरत है और यदि आवश्यक हो, तो इसका उपयोग भी किया जाना चाहिए। यह बयान अररिया में दिया गया, जहां उन्होंने हिन्दुओं की घटती संख्या और NRC लागू करने की संभावना पर भी चिंता जताई। इसके बाद, बिहार की राजनीतिक पार्टियों ने गिरिराज सिंह पर तीखे आरोप लगाए हैं।
Giriraj Singh: जदयू की प्रतिक्रिया
जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने गिरिराज सिंह के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बिहार के हर थाने में “गदाधारी हनुमान” मौजूद हैं, जो सनातन धर्म के अनुयायी हैं और रक्षा का दायित्व निभा रहे हैं। नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि बिहार में त्रिशूल की आवश्यकता नहीं है, बल्कि “लक्ष्मी का कमल” और “राम का तीर” चाहिए, जो एनडीए के पास पहले से ही है। उनका यह बयान गिरिराज सिंह के हथियार उठाने वाले बयान का मजाक उड़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
राजद का हमला
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने गिरिराज सिंह पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी के नेता बिहार में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि बीजेपी नेताओं के भड़काऊ बयानों पर रोक कब लगेगी, इस पर मुख्यमंत्री को जवाब देना चाहिए। तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी का यह “खतरनाक डिजाइन” बिहार की शांति और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने का प्रयास है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद माधव ने गिरिराज सिंह के बयान को “दंगाई भाषा” करार दिया। उन्होंने कहा कि गिरिराज सिंह जानबूझकर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि राज्य में तनाव और दंगे भड़क सकें। कांग्रेस ने गिरिराज सिंह के बयान को नौटंकी बताते हुए आरोप लगाया कि उनका असली मकसद अपनी राजनीतिक कुर्सी को बचाना है, न कि किसी धर्म की रक्षा करना। आनंद माधव ने यह भी कहा कि कोई धर्म खतरे में नहीं है, गिरिराज सिंह की कुर्सी ही असल खतरे में है।
राजनीतिक विवाद
गिरिराज सिंह के बयान के बाद बिहार की राजनीति में तेज बहस छिड़ गई है। जहां एक ओर बीजेपी इसे हिन्दू स्वाभिमान की रक्षा का प्रयास बता रही है, वहीं विपक्षी दल इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और चुनावी लाभ के लिए किए गए प्रयास के रूप में देख रहे हैं। बिहार में पहले से ही जातिगत और धार्मिक मुद्दों पर राजनीति गरमाई हुई है, और गिरिराज सिंह का बयान इसे और अधिक संवेदनशील बना रहा है।
इस बयान से बिहार की राजनीतिक स्थिति और भी जटिल हो गई है, जहां हर पार्टी इसे अपने हिसाब से भुनाने की कोशिश कर रही है। अब देखना यह है कि इस बयान के बाद बिहार में राजनीति का रुख किस दिशा में जाता है।