Bokaro News: रैयती अधिकार प्रदर्शन के बैनर तले सैकड़ों विस्थापितों ने बोकारो डीसी कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन विस्थापितों के अधिकारों और पंचायत का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर आयोजित किया गया। प्रदर्शन को अब राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है, जिससे यह आंदोलन और मजबूती पकड़ता जा रहा है।
ज्ञात हो कि बोकारो स्टील प्लांट के विस्तार के लिए कई रैयती गांवों की जमीन अधिग्रहित की गई थी, लेकिन आज तक इन गांवों को पंचायत का दर्जा नहीं दिया गया है। इस मुद्दे को लेकर 63 वर्षों से विस्थापित संघर्ष कर रहे हैं।
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विधायक श्वेता सिंह का बड़ा बयान
प्रदर्शन में शामिल बोकारो की कांग्रेस विधायक श्वेता सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा:
“विस्थापितों ने अपनी जमीन सेल (SAIL) को दी थी ताकि उत्पादन बढ़े, लेकिन 10 मैट्रिक टन उत्पादन का वादा आज तक पूरा नहीं हुआ। सेटलमेंट की प्रक्रिया अधूरी है, और अब बैठकर इसका समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन और तेज होगा — और जीत हमारी ही होगी।”
उन्होंने सेल प्रबंधन पर सीधा सवाल उठाते हुए विस्थापितों की उपेक्षा को अन्यायपूर्ण बताया।
झामुमो नेता का आरोप – प्रशासन गुमराह कर रहा है सरकार को
इस प्रदर्शन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पूर्व जिलाध्यक्ष हीरालाल मांझी भी शामिल हुए। उन्होंने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा:
“स्थानीय प्रशासन राज्य सरकार को गुमराह कर रहा है। हम इस पूरे मामले से सरकार को अवगत कराएंगे और यदि न्याय नहीं मिला तो यह आंदोलन और उग्र होगा।”
मुख्य मांगें:
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विस्थापित गांवों को पंचायत का दर्जा दिया जाए।
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सेटलमेंट प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाए।
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SAIL द्वारा किया गया उत्पादन वृद्धि का वादा पूरा किया जाए।
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विस्थापितों को भूमि और पुनर्वास से जुड़ा पूरा अधिकार मिले।