Chhapra News: ग़रखा के किसान इन दिनों त्रिस्तरीय संकट का सामना कर रहे हैं—एक ओर बाढ़ और सूखे की दोहरी मार, दूसरी ओर जंगली नीलगायों का कहर। इन चुनौतियों के कारण क्षेत्र के अधिकांश किसानों की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
स्थानीय किसानों ने बताया कि वे कर्ज लेकर मक्का, गेहूं और धान की खेती करते हैं, लेकिन रात के अंधेरे में खेतों में घुसने वाले नीलगायों का झुंड उनकी मेहनत को चंद घंटों में नष्ट कर देता है। “हम रात-रात भर खेत में जागते हैं, लेकिन नीलगायों से फसल नहीं बचा पा रहे,” एक किसान ने दुख व्यक्त करते हुए कहा।
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किसानों का कहना है कि अब यह केवल आर्थिक समस्या नहीं रही, बल्कि मानसिक तनाव का कारण भी बन चुकी है। परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है और फसल के नुकसान से कर्ज चुकाना भी नामुमकिन होता जा रहा है।
स्थानीय समाजसेवी सोनू सागर ने चिंता जताते हुए कहा, “सरकार की उदासीनता अब असहनीय होती जा रही है। एक तरफ बाढ़ और सूखा, दूसरी तरफ नीलगायों का आतंक—किसान पूरी तरह से बर्बाद हो रहे हैं। समय रहते समाधान नहीं निकाला गया तो हालात और भी भयावह हो सकते हैं।”
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही नीलगाय नियंत्रण के लिए ठोस नीति नहीं बनाई गई, तो वे आंदोलन की राह चुनने को मजबूर होंगे।