देश के सबसे बड़े बैंक SBI को 10,000 करोड़ रुपये का लोन चाहिए, जानिए क्यों?

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) विदेशी मुद्रा में लोन जुटाने के लिए सक्रिय भारतीय वित्तीय संस्थानों और कंपनियों में से एक है। जुलाई 2024 में बैंक ने 750 मिलियन डॉलर का तीन-वर्षीय लोन लिया था।

अब बैंक 1.25 बिलियन डॉलर (लगभग 10,552 करोड़ रुपये) तक का लोन जुटाने की योजना बना रहा है। यह इस साल भारतीय वित्तीय क्षेत्र में सबसे बड़ा लोन सौदा होगा। यह लोन गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) शाखा के जरिए जुटाया जाएगा।

SBI News: लोन की मुख्य विशेषताएं

  • अवधि: यह लोन पांच साल के लिए लिया जाएगा।
  • ब्याज दर: लोन पर ब्याज दर सिक्योर ओवरनाइट फाइनेंसिंग रेट (SOFR) से 92.5 आधार अंक ऊपर होगी।
  • सिंडिकेटेड लोन: लोन को अन्य फाइनेंसर्स के साथ सिंडिकेट किया जा रहा है।
  • नेतृत्व: इस सौदे का नेतृत्व सीटीबीसी बैंक, एचएसबीसी होल्डिंग्स पीएलसी, और ताइपेई फूबोन बैंक कर रहे हैं।

लोन लेने की वजह

एसबीआई इस लोन का इस्तेमाल सामान्य कॉर्पोरेट कार्यों के लिए करेगा। विदेशी मुद्रा लोन की तुलना में घरेलू लोन महंगा होने के कारण भारतीय बैंक और कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजारों से फंड जुटा रही हैं।

अन्य बैंक और वित्तीय संस्थान भी जुटा रहे लोन

  • चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी: हाल ही में 300 मिलियन डॉलर जुटाए।
  • बैंक ऑफ बड़ौदा: 750 मिलियन डॉलर जुटाने की प्रक्रिया में।
  • यूनियन बैंक ऑफ इंडिया: सिडनी शाखा के जरिए 81 मिलियन डॉलर का लोन ले रहा है।

2024 में लोन की स्थिति

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में भारतीय वित्तीय क्षेत्र का कुल डॉलर लोन वॉल्यूम 27% घटकर 14.2 बिलियन डॉलर रह गया है। बड़ी कंपनियों ने उधारी कम कर दी है, लेकिन छोटे और मझोले संस्थान सक्रिय हैं।

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एसबीआई का कदम क्यों महत्वपूर्ण है?

  • वैश्विक महत्वाकांक्षाएं:
    एसबीआई की यह पहल भारतीय वित्तीय संस्थानों की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय पहुंच को दर्शाती है।
  • गिफ्ट सिटी का योगदान:
    फंड जुटाने के लिए गिफ्ट सिटी का उपयोग भारत को एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद करता है।
  • निवेशकों के लिए अवसर:
    यह लोन वैश्विक निवेशकों को भारतीय बाजार में निवेश का एक नया अवसर प्रदान करता है।

निष्कर्ष

एसबीआई का 10,000 करोड़ रुपये का लोन जुटाने का फैसला बैंक की वित्तीय जरूरतों और रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए है। यह भारतीय वित्तीय क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय बाजारों से फंड जुटाने की प्रवृत्ति को भी दर्शाता है।

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