Jharkhand Chunav: क्या सोरेन रचेंगे इतिहास या कायम रहेगी सत्ता परिवर्तन की परंपरा?

Jharkhand Chunav: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में 38 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा। इस चरण में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम)-कांग्रेस गठबंधन और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए के बीच कड़ी टक्कर है।

झारखंड में दो दशक से हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा रही है। भाजपा जहां इसे बरकरार रखने की कोशिश में है, वहीं हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी नया इतिहास रचने की तैयारी में हैं।

Jharkhand Chunav 2024: कांग्रेस पर टिका गठबंधन का भविष्य

दूसरे चरण की 38 सीटों में कांग्रेस महज 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के प्रदर्शन पर न केवल उसकी साख टिकी है, बल्कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सत्ता में वापसी की उम्मीदें भी निर्भर हैं। यदि कांग्रेस अपने कोटे की सीटों पर बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई, तो गठबंधन की राह मुश्किल हो सकती है।

Jharkhand Chunav 2024: दूसरे चरण का समीकरण

  • भाजपा: 33 सीटों पर उम्मीदवार।
  • आजसू (एनडीए सहयोगी): 5 सीटों पर उम्मीदवार।
  • जेएमएम: 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
  • कांग्रेस: 13 सीटों पर प्रत्याशी।
  • अन्य: आरजेडी (2 सीट), सीपीआई(एम) (3 सीट)।

इस चरण में कई रोचक मुकाबले देखने को मिलेंगे। 17 सीटों पर भाजपा और जेएमएम के बीच सीधी टक्कर है, जबकि 11 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं।

कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की परीक्षा

कांग्रेस के लिए यह चरण बेहद अहम है। पार्टी को अपने कब्जे वाली 8 सीटों के अलावा अन्य पर भी पकड़ मजबूत करनी होगी।

  • डॉ. इरफान अंसारी (जामताड़ा): हैट्रिक की कोशिश।
  • दीपिका पांडेय सिंह (महागामा): दूसरी बार जीतने की चुनौती।
  • आलमगीर आलम (पाकुड़): जेल में होने के कारण उनकी पत्नी चुनावी मैदान में हैं।
  • बादल पत्रलेख (जरमुंडी): हैट्रिक के लिए जोर आजमाइश।

संथाल परगना: जेएमएम का गढ़ और भाजपा की चुनौती

संथाल परगना की 18 सीटें हमेशा से झारखंड की राजनीति में निर्णायक रही हैं। यह क्षेत्र जेएमएम का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार भाजपा ने यहां बड़ी ताकत झोंकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस क्षेत्र में रैलियां कीं।

2019 के चुनाव में संथाल परगना में महागठबंधन ने 14 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए को महज 4 सीटें मिली थीं। इस बार भाजपा इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में है।

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कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

दूसरे चरण में जिन 13 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है, उनमें से 9 सीटें 2019 में उसके कब्जे में थीं। इस बार इन सीटों को बचाए रखना और भाजपा को हराना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने के लिए इन क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया है।

क्या टूटेगी परंपरा?

झारखंड में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा ने भाजपा को उम्मीद दी है कि इस बार वह सत्ता में लौट सकती है। वहीं, हेमंत सोरेन इस परंपरा को तोड़कर सत्ता बचाने के लिए कांग्रेस के प्रदर्शन पर निर्भर हैं।

झारखंड के इस चुनावी संग्राम में दूसरा चरण तय करेगा कि राज्य में सत्ता परिवर्तन की परंपरा कायम रहेगी या सोरेन नया इतिहास रचेंगे। 23 नवंबर को नतीजे इस सवाल का जवाब देंगे।

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