हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि भारतीय रेलवे अपनी ट्रेनों के कोचों में IP-CCTV निगरानी प्रणाली लगाने के लिए 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने जा रहा है।
यह खबर तेजी से वायरल हो गई थी, लेकिन अब इस पर भारत सरकार की ओर से स्पष्टीकरण आया है।
PIB ने खारिज की खबरें
भारत सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इन रिपोर्ट्स को “भ्रामक और गलत” करार दिया है। PIB ने अपने फैक्ट चेक के बाद यह स्पष्ट किया कि रेलवे ने इस परियोजना के लिए अब तक कोई टेंडर या नोटिस इनवाइटिंग टेंडर (NIT) जारी नहीं किया है। रेलवे द्वारा 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने की खबर को गुमराह करने वाली बताया गया है और परियोजना के दायरे, लागत और प्रगति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
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वित्तीय समीक्षा के तहत है परियोजना
PIB ने बताया कि यह परियोजना अभी वित्तीय समीक्षा के चरण में है और इसका अंतिम रूप नहीं दिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 20,000 करोड़ रुपये की लागत और परियोजना की समयसीमा से संबंधित मीडिया में प्रसारित आंकड़े “काल्पनिक” हैं और उनका कोई वास्तविक आधार नहीं है।
मीडिया से अपील
PIB ने मीडिया संगठनों से अपील की है कि वे किसी भी जानकारी को प्रकाशित करने से पहले आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें। बिना सत्यापन के प्रकाशित की गई खबरें न केवल रेलवे की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि आम जनता को भी गुमराह करती हैं।
रेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “भारतीय रेलवे पारदर्शिता, सुरक्षा और दक्षता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है। हम सभी मीडिया संगठनों और जनता से आग्रह करते हैं कि रेलवे से जुड़ी सटीक जानकारी के लिए केवल भारतीय रेलवे या PIB की आधिकारिक घोषणाओं पर भरोसा करें।”
इस स्पष्टीकरण के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय रेलवे के CCTV कैमरे लगाने की योजना को लेकर मीडिया में जो आंकड़े और खबरें फैल रही हैं, वे फिलहाल असत्य हैं और बिना आधिकारिक पुष्टि के प्रकाशित की गई हैं।