Prashant Kishor ने हार के बाद नीतीश पर साधा निशाना

Prashant Kishor, जिन्हें आज “जन सुराज” अभियान का सूत्रधार माना जाता है, ने हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार की नीतियों पर तीखा प्रहार किया।

उन्होंने बिहार के मजदूरों के पलायन और राज्य की अव्यवस्थित स्थिति को लेकर नीतीश कुमार की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल उठाए।

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Prashant Kishor News: नीतीश सरकार पर सवाल

प्रशांत किशोर का कहना है कि नीतीश कुमार ने कभी भी बिहार के विकास के लिए केंद्र सरकार से गंभीर बातचीत नहीं की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अक्सर दिल्ली जाकर जदयू के राजनीतिक समीकरण और सीटों के बंटवारे की चर्चा करते हैं, लेकिन बिहार की मौलिक समस्याओं, जैसे चीनी मिलों को फिर से चालू करना या बेरोजगारी की समस्या को हल करना, इन पर कोई ठोस प्रयास नहीं किए।

Prashant Kishor News: बिहारी मजदूरों के पलायन पर टिप्पणी

प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि बिहार के नेता यह गर्व से कहते हैं कि राज्य के मजदूर दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में काम करके परिवार पालते हैं। लेकिन यह गर्व की बात नहीं है, बल्कि राज्य की विफलता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि बिहार के युवा बेहतर शिक्षा और रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं और राज्य सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

विकास की आवश्यकता पर जोर

प्रशांत किशोर ने बिहार के विकास के लिए योजनाबद्ध प्रयासों की कमी पर निराशा व्यक्त की। उनका मानना है कि जब तक सरकार ठोस नीति और दूरदर्शी योजनाओं पर काम नहीं करती, तब तक बिहार का विकास संभव नहीं है। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि वह युवाओं और मजदूरों की समस्याओं को प्राथमिकता दे और उनके पलायन को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए।

जन सुराज के माध्यम से विकल्प की तलाश

प्रशांत किशोर का यह बयान बताता है कि वह बिहार की राजनीति में केवल आलोचक बनकर नहीं रहना चाहते, बल्कि “जन सुराज” के माध्यम से एक नया विकल्प प्रस्तुत करना चाहते हैं। उनका उद्देश्य स्पष्ट है: बिहार को आत्मनिर्भर बनाना और राज्य के युवाओं को उनके घर पर ही रोजगार, शिक्षा और विकास के अवसर प्रदान करना।

क्या बदलेगी बिहार की तस्वीर?

प्रशांत किशोर का यह बयान बिहार के राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे सकता है। उनकी बातें राज्य की उन समस्याओं को उजागर करती हैं, जिन्हें लंबे समय से नजरअंदाज किया गया है। अब देखना यह है कि उनका यह आक्रामक रवैया बिहार की राजनीति और नीतीश कुमार की सरकार को कितना प्रभावित करता है।

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