Hemant Model पर बिहार में जीत की रणनीति बना रहा NDA

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Hemant Model: झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सत्ता वापसी में पेंशन योजनाओं ने बड़ी भूमिका निभाई। इसे देखते हुए बिहार में एनडीए सरकार पेंशन स्कीम को राजनीतिक रणनीति का अहम हिस्सा बना रही है।

2025 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एनडीए ने पेंशन बढ़ाने के संकेत दिए हैं, खासकर बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए।

Hemant Model: बीजेपी विधायकों ने पेंशन बढ़ाने की मांग तेज की

बिहार विधानसभा में बीजेपी विधायक ललन पासवान ने कहा कि महंगाई के इस दौर में पेंशन की मौजूदा राशि अपर्याप्त है। उन्होंने इसे बढ़ाकर ₹2000 प्रतिमाह करने की मांग की, जिससे पेंशन योजनाओं को लेकर चर्चा और तेज हो गई।

Hemant Model: झारखंड में हेमंत सोरेन की सफलता की कहानी

सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे के मुताबिक, झारखंड में हेमंत सोरेन की सर्वजन पेंशन स्कीम ने गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग के मतदाताओं को उनकी ओर आकर्षित किया। सर्वे में 52% पेंशन लाभार्थियों ने इंडिया गठबंधन को वोट दिया, जबकि 35% ने बीजेपी का समर्थन किया। इस स्कीम के तहत झारखंड में 26 लाख से अधिक लोगों को ₹600 प्रतिमाह मिलते हैं, जिसे चुनाव बाद ₹2500 करने का वादा किया गया है।

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बिहार में पेंशन बनेगा बड़ा चुनावी मुद्दा

बिहार में वर्तमान में मुख्यमंत्री पेंशन लाभार्थी योजना के तहत 30 लाख लोगों को ₹400-₹500 प्रतिमाह दिया जा रहा है। इस योजना की राशि को बढ़ाने की मांग विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के भीतर से उठ रही है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और आरजेडी इस मुद्दे को चुनावी मंच पर उठा सकती हैं।

2025 के चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना

अक्टूबर 2025 में प्रस्तावित बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों के लिए मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। एनडीए गठबंधन में बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (आर), और हम शामिल हैं, जबकि इंडिया गठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, और सीपीआई (माले) हैं। वहीं, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जो मुकाबले को और रोचक बना सकती है।

पेंशन के जरिए वोट साधने की कोशिश

एनडीए को 2020 के विधानसभा चुनाव में 126 सीटें मिली थीं। 2025 के चुनाव में इस बढ़त को बरकरार रखने के लिए पेंशन योजना को लेकर बढ़ती चर्चाएं एनडीए के लिए रणनीतिक हथियार बन सकती हैं। चुनावी मैदान में पेंशन का मुद्दा महिलाओं, बुजुर्गों और गरीबों को साधने का प्रभावी माध्यम हो सकता है।

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