Devendra Fadnavis: सियासत के समंदर का दमदार खिलाड़ी

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“मेरा पानी उतरता देख, मेरे किनारे पर घर मत बसा लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा।” साल 2019 में कही गई यह पंक्ति महाराष्ट्र की राजनीति के ध्रुवतारे Devendra Fadnavis की ताकत और दृढ़ता को बखूबी दर्शाती है।

आज, जब देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर चुन लिए गए हैं, तो यह पंक्ति हकीकत बनकर सबके सामने है।

Devendra Fadnavis का राजनीतिक सफर: एक नजर

देवेंद्र फडणवीस का जन्म 22 जुलाई 1970 को नागपुर में हुआ। बचपन से ही उनकी रुचि राजनीति में थी। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सक्रिय कार्यकर्ता बने और अपनी मेहनत और दृष्टिकोण से पार्टी में अलग पहचान बनाई। नागपुर से राजनीतिक करियर की शुरुआत करते हुए उन्होंने पार्षद के रूप में काम किया। बाद में महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य बने और 2014 में पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।

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सियासी चुनौतियां और वापसी

2019 में फडणवीस को सत्ता से हटना पड़ा, जब शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने महाविकास अघाड़ी सरकार बनाई। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी। फडणवीस ने विपक्ष के नेता के तौर पर अपनी भूमिका निभाई और अपनी सियासी समझ व रणनीति से भाजपा के लिए रास्ता बनाते रहे।

एकनाथ शिंदे से टकराव और जीत

एकनाथ शिंदे के साथ मुख्यमंत्री पद की रेस में फडणवीस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनकी राजनीतिक सूझबूझ और संगठनात्मक कौशल ने अंततः उन्हें जीत दिलाई। भाजपा विधायक दल की बैठक में फडणवीस के नाम पर सहमति बनी, और वे तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने।

Devendra Fadnavis केवल एक नेता नहीं हैं, बल्कि दृढ़ संकल्प, साहस और सटीक रणनीति के प्रतीक हैं। उनकी सफलता यह दिखाती है कि हार और असफलताएं केवल एक पड़ाव हैं, न कि अंत। राजनीति के समंदर में वे एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जो हर लहर का सामना करने और हर तूफान के बाद मजबूती से लौटने की कला जानते हैं।

महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस का यह नया अध्याय एक बार फिर उनकी नेतृत्व क्षमता और उनके अडिग इरादों का परिचायक है।

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