रांची: हेमंत सोरेन (HEMANT SOREAN) के इस्तीफे के बाद आज शुक्रवार, 2 फरवरी को चंपई सोरेन (Champai Soren) ने 12वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ RJD विधायक सत्यानंद भोक्ता( SATYANAND BOKTA) और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम( ALAMGIR ALAM)ने भी मंत्री पद की शपथ ली. आपको बता दे की हेमंत सोरेन ने बुधवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
उम्मीद यह थी कि हेमंत सोरेन के इस्तीफे देने के बाद उनकी पत्नी कल्पना सोरेन मुख्यमंत्री बन सकती थी , लेकिन परिवार में विरोध और आपत्तियों के बीच हुई बैठक में चंपई सोरेन (champai sorean)को विधायक दल का नेता चुना गया. अब उन्होंने झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री पद के तौर पर शपथ ले ली है.
चंपई सोरेन और गठबंधन के अन्य नेताओं ने राज्यपाल से बुधवार रात को मुलाकात की. इसके बाद इन नेताओं ने गुरुवार को भी राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की. इसके बाद शपथ के लिए आज (2 फरवरी) की तारीख तय की गई हैं ।
हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद से राज्य में मुख्यमंत्री न होने की वजह से भ्रम की स्थिति बन गई थी और इसके कारण राजनीतिक संकट गहरा गया था. चंपई सोरेन को 5 फरवरी को बहुमत साबित करना होगा.
किन कारणों से कल्पना सोरेन नहीं बन पाई CM ?
सोरेन परिवार झारखंड का सबसे बड़ा सियासी परिवार है। JMM के प्रमुख शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं। ऐसे में जब कल्पना सोरेन का नाम मुख्यमंत्री के लिए फिर से सामने आया तो पार्टी में टूट का खतरा दिखने लगा था। JMM के 18 विधायकों ने विरोध करते नजर आए थे ….. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे (Nisikant Dubey)का दावा है कि JMM के 29 विधायकों में से 18 विधायक कल्पना सोरेन को सीएम बनाने के लिए राजी नहीं थे। ये सभी 18 विधायक कल्पना सोरेन की जगह हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को सीएम बनाने की मांग कर रहे थे।
कौन हैं नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन?
शिबू सोरेन के वफादार और सबसे करीबी माने जाने वाले राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को 1990 के दशक में अलग (झारखंड) राज्य के लिए चली लंबी लड़ाई में योगदान देने को लेकर ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से जाना जाता है.
चंपई सोरेन ने 1991 में सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने जाने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत पहली बार की थी ।