दिल्ली में Congress की न्याय यात्रा ने भले ही जनता का ध्यान आकर्षित किया हो, लेकिन पार्टी के शीर्ष नेताओं, खासकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की अनुपस्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह यात्रा महंगाई, बेरोजगारी और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरने के लिए आयोजित की गई थी, लेकिन राहुल और प्रियंका की गैरमौजूदगी ने इसे कमजोर कर दिया।
Congress News: क्यों गायब थे राहुल-प्रियंका?
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस का चेहरा माना जाता है। उनकी उपस्थिति पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता में उत्साह भरने का काम करती है। लेकिन इस महत्वपूर्ण आयोजन से उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि राहुल विदेश दौरे पर थे, जबकि प्रियंका किसी निजी कारण से शामिल नहीं हो सकीं।
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नेतृत्व की कमी का असर
पार्टी के कई कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शीर्ष नेतृत्व की अनुपस्थिति से कांग्रेस की छवि को नुकसान हुआ है। एक कार्यकर्ता ने कहा, “जब पार्टी इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रही है, तब राहुल और प्रियंका का मौजूद न होना हमारे लिए निराशाजनक है। उनके बिना पार्टी के आंदोलन की धार कुंद हो जाती है।”
वरिष्ठ नेताओं ने संभाली कमान
इस यात्रा में मल्लिकार्जुन खड़गे, पवन खेड़ा, रणदीप सुरजेवाला, और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कमान संभाली। उन्होंने जनता को केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जागरूक किया और कांग्रेस के एजेंडे को मजबूती से रखा। लेकिन यह स्पष्ट था कि कार्यकर्ताओं और समर्थकों को राहुल और प्रियंका की अनुपस्थिति खल रही थी।
राहुल-प्रियंका पर क्यों निर्भर है कांग्रेस?
- युवाओं में लोकप्रियता: राहुल और प्रियंका दोनों ही युवा वर्ग में लोकप्रिय हैं और उनकी उपस्थिति से कांग्रेस को नई ऊर्जा मिलती है।
- मोदी सरकार के खिलाफ मुखरता: राहुल गांधी अक्सर मोदी सरकार के खिलाफ मुखर रहते हैं, जिससे जनता में उनकी छवि मजबूत होती है।
- परिवार की छवि: गांधी परिवार कांग्रेस की पहचान रहा है। उनकी अनुपस्थिति पार्टी के आंदोलनों को कमजोर कर सकती है।
आलोचनाओं का सामना
कांग्रेस को इस आयोजन में नेतृत्व की कमी के लिए विपक्ष और राजनीतिक विश्लेषकों से आलोचना झेलनी पड़ी। कुछ ने इसे पार्टी की रणनीतिक विफलता करार दिया, तो कुछ ने इसे नेतृत्व के प्रति गंभीरता की कमी बताया।
आगे की राह
अगर कांग्रेस को 2024 के चुनावों में प्रभावशाली भूमिका निभानी है, तो नेतृत्व को हर बड़े आंदोलन और कार्यक्रम में सक्रिय रहना होगा। पार्टी को यह समझना होगा कि जनता और कार्यकर्ता राहुल और प्रियंका से प्रेरणा लेते हैं। उनकी अनुपस्थिति न केवल आंदोलन को कमजोर करती है, बल्कि पार्टी के भीतर असमंजस का माहौल भी पैदा करती है।
दिल्ली न्याय यात्रा ने कांग्रेस के लिए एक बड़ा मौका दिया था, लेकिन राहुल और प्रियंका की गैरमौजूदगी ने इसे कमजोर कर दिया। कांग्रेस को अपने आंदोलनों में शीर्ष नेतृत्व की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी, ताकि पार्टी की धार और विश्वसनीयता दोनों बनी रहे।