झारखंड के मुख्यमंत्री Hemant Soren को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन की अवहेलना से जुड़े मामले में झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है।
इस मामले में हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री को 16 जनवरी तक की छूट बरकरार रखने का आदेश दिया है। यह मामला ईडी द्वारा मुख्यमंत्री को जारी किए गए समन के जवाब न देने और संबंधित कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी से जुड़ा है।
मामले की पृष्ठभूमि
हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने ईडी द्वारा पूछताछ के लिए जारी समन की अनदेखी की। ईडी ने मुख्यमंत्री को अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में पूछताछ के लिए बुलाया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे राजनीतिक साजिश बताते हुए समन का पालन नहीं किया। उन्होंने ईडी की कार्रवाई को राज्य सरकार और उनकी छवि खराब करने का प्रयास करार दिया।
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इस मामले में ईडी ने अदालत का रुख किया था, जिसके बाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की। मुख्यमंत्री की ओर से वकीलों ने दलील दी कि समन का पालन न करने का आरोप आधारहीन है और यह पूरी तरह से राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित है।
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को राहत देते हुए कहा कि 16 जनवरी तक ईडी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री को कानून का पालन करना होगा, लेकिन राजनीतिक दबाव या बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
Hemant Soren ED News: राजनीतिक विवाद
इस पूरे मामले ने झारखंड की राजनीति को गरमा दिया है। मुख्यमंत्री ने ईडी की कार्रवाई को केंद्र सरकार की ओर से विरोधियों को दबाने की रणनीति बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है ताकि विपक्षी नेताओं को परेशान किया जा सके।
दूसरी ओर, भाजपा ने हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर उनके पास कुछ छिपाने को नहीं है, तो उन्हें जांच में सहयोग करना चाहिए। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ईडी से बचने के लिए अदालत की आड़ ले रहे हैं और जनता के सवालों का सामना नहीं करना चाहते।
जनता और विशेषज्ञों की राय
इस मामले ने झारखंड के लोगों के बीच कई सवाल खड़े किए हैं। जहां कुछ लोग इसे राजनीतिक साजिश मान रहे हैं, वहीं अन्य लोग मुख्यमंत्री से पारदर्शिता की उम्मीद कर रहे हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ईडी और अन्य केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई निष्पक्ष और सबूतों पर आधारित होनी चाहिए, न कि राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित।
आगे की राह
अदालत के आदेश से हेमंत सोरेन को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन यह मामला यहीं खत्म नहीं हुआ है। 16 जनवरी को अगली सुनवाई में यह तय होगा कि ईडी की कार्रवाई आगे कैसे बढ़ेगी। मुख्यमंत्री के लिए यह समय राज्य की जनता के बीच अपनी छवि को सुधारने और सरकार के कामकाज पर ध्यान केंद्रित करने का है।
इस प्रकरण ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या राजनीति और कानूनी प्रक्रियाएं आपस में टकरा रही हैं, और क्या इसका असर झारखंड की जनता और प्रशासन पर पड़ेगा।