हमें संसद में जाने से रोका, आज तक नहीं हुई ऐसी हिंसा: Rahul Gandhi

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कांग्रेस नेता Rahul Gandhi ने हाल ही में संसद परिसर में हुई धक्कामुक्की की घटना पर प्रतिक्रिया दी और इसे लोकतंत्र के लिए एक काला दिन बताया।

उनका कहना था कि यह पहली बार हुआ है जब किसी विपक्षी दल के नेताओं को संसद में जाने से रोका गया और उनके साथ हिंसा की गई। राहुल गांधी ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र की आत्मा पर हमला करार दिया।

Rahul Gandhi News: संसद में रोका जाना और हिंसा की घटनाएं

राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें और उनके पार्टी के नेताओं को संसद में जाने से रोकने के लिए पुलिस द्वारा धक्कामुक्की की गई और यह एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। उन्होंने बताया कि आज तक देश की संसदीय परंपराओं में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता, जब विपक्षी नेताओं को संसद में प्रवेश से रोका गया हो और उनके साथ इस तरह की हिंसा की गई हो। इस घटनाक्रम ने लोकतंत्र की गरिमा को आहत किया है।

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लोकतंत्र की मूलभूत सिद्धांतों पर हमला: Rahul Gandhi

राहुल गांधी ने इस घटना को लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों पर हमला बताते हुए कहा, “हम संसद में जनता के प्रतिनिधि के तौर पर जाते हैं, लेकिन आज हमें न केवल संसद में प्रवेश से रोका गया, बल्कि हमारे साथ दुर्व्यवहार भी किया गया। यह केवल कांग्रेस पार्टी के नेताओं के साथ नहीं, बल्कि पूरे देश के नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है।”

केंद्र सरकार और भाजपा पर निशाना

राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम के लिए केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पूरी तरह से एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था, ताकि विपक्षी दलों की आवाज़ को दबाया जा सके। उनका कहना था, “भा.ज.पा. और केंद्र सरकार अपने राजनीतिक हितों के लिए विपक्षी नेताओं को संसद में बोलने से रोकने के लिए इस तरह की हिंसा को बढ़ावा दे रही है।”

विपक्षी एकता और संघर्ष की बात

राहुल गांधी ने इस घटनाक्रम को विपक्षी दलों के एकजुटता और संघर्ष के लिए और भी प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा, “हम यह नहीं झुकेंगे, हम संसद में अपनी आवाज उठाते रहेंगे। इस तरह के हमलों से हमारी लड़ाई कमजोर नहीं होगी, बल्कि हम और मजबूती से अपनी बात रखेंगे।”

आखिरकार, यह घटना एक संकेत है कि लोकतंत्र में जब आवाज़ उठाने वालों को दबाने का प्रयास किया जाता है, तो वह लोकतांत्रिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है। राहुल गांधी का यह बयान केवल एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं था, बल्कि पूरे विपक्षी वर्ग की चिंता को उजागर करता है कि अगर यह स्थिति बनी रही, तो देश में संसद और लोकतंत्र की शक्ति कमजोर हो सकती है।

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