क्रिसमस कार्यक्रम में PM Modi की भागीदारी पर विवाद: केरल की घटनाओं ने क्यों उठाए सवाल?

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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की दिल्ली में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के क्रिसमस समारोह में भागीदारी ने राजनीति में हलचल मचा दी।

पीएम मोदी की इस भागीदारी को लेकर ऑर्थोडॉक्स चर्च त्रिशूर डायोसीज मेट्रोपॉलिटन योहानोन मार मेलेटियस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने केरल में हुई घटनाओं के मद्देनजर प्रधानमंत्री की उपस्थिति पर सवाल उठाए।

PM Modi News: केरल की घटनाएं और विवाद

केरल में हाल ही में पलक्कड़ में हुईं कुछ घटनाओं ने राज्य की सामाजिक और धार्मिक समरसता को प्रभावित किया है। राज्य में ईसाई समुदाय के खिलाफ हो रहे हमलों और बढ़ती असहिष्णुता के मामलों ने चर्चों और समुदायों में असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की कैथोलिक कार्यक्रम में भागीदारी को लेकर चर्च के एक धड़े ने इसे राजनीतिक पाखंड करार दिया।

PM Modi News: प्रधानमंत्री की भागीदारी की आलोचना

योहानोन मार मेलेटियस ने कहा कि जब केरल में ईसाई समुदाय के खिलाफ घटनाएं हो रही हैं, तब प्रधानमंत्री की क्रिसमस समारोह में भागीदारी को सही ठहराना मुश्किल है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक उपस्थिति थी या फिर इसके पीछे ईसाई समुदाय के लिए कोई ठोस नीति या समर्थन है।

उन्होंने कहा,
“प्रधानमंत्री का इस तरह के समारोह में आना केवल एक दिखावा प्रतीत होता है, जब तक कि सरकार इन घटनाओं पर ध्यान नहीं देती और ठोस कदम नहीं उठाती।”

PM Modi

सरकार का पक्ष और आलोचना

वहीं, सरकार के समर्थक यह दावा करते हैं कि प्रधानमंत्री की क्रिसमस समारोह में भागीदारी सांप्रदायिक सौहार्द्र और विविधता के प्रति उनके सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह कदम धार्मिक समुदायों के बीच संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए था।

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हालांकि, विपक्षी दलों और कई धार्मिक संगठनों ने इसे केवल एक राजनीतिक चाल बताया, जिसे आगामी चुनावों के मद्देनजर ईसाई समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्रिसमस कार्यक्रम में भागीदारी ने एक नई बहस को जन्म दिया है।

जहां एक ओर इसे सांप्रदायिक सौहार्द्र के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर केरल में हाल की घटनाओं के मद्देनजर इसे पाखंड और राजनीतिक चाल के रूप में भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में सरकार इस विवाद का कैसे समाधान करती है और क्या इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।

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