पटना की राजनीति में हाल ही में Tejashwi Yadav के बयान ने एक बार फिर सियासी हलचल मचा दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर तेजस्वी ने स्पष्ट कर दिया कि राजद के लिए उनके दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। यह बयान उस समय आया है, जब नीतीश कुमार और बीजेपी के संबंधों में दरार की अटकलें तेज़ थीं।
Tejashwi Yadav News: क्या नीतीश कुमार महागठबंधन की ओर लौटना चाहते थे?
राजद के कुछ नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सहज महसूस नहीं कर रहे हैं, और उनके लिए महागठबंधन में वापसी के विकल्प खुल सकते थे। लेकिन तेजस्वी यादव के हालिया बयान ने इस संभावना पर विराम लगा दिया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अब थक चुके हैं और उनकी सरकार से रिटायर्ड अधिकारी ही काम करवा रहे हैं।
दिसंबर और नीतीश कुमार के पाला बदलने का इतिहास
बिहार की राजनीति में दिसंबर का महीना अक्सर बदलावों का गवाह रहा है। 2014 से अब तक, इस महीने में नीतीश कुमार के गठबंधन बदलने की खबरें कई बार सही साबित हुई हैं। 2024 की शुरुआत में ही उन्होंने एनडीए के साथ हाथ मिलाया और नई सरकार बनाई।
सीएम की कुर्सी और उपचुनावों का असर
हाल ही में बिहार विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजों के बाद नीतीश कुमार के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला। उनकी प्रगति यात्रा में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की भागीदारी और बीजेपी नेताओं के साथ उनके समीकरणों ने अटकलों को कुछ समय के लिए शांत किया।
Tejashwi Yadav का बड़ा बयान
तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के लिए राजद के दरवाजे बंद करने के पीछे स्पष्ट कारण गिनाए:
- महागठबंधन के लिए नुकसानदायक: तेजस्वी ने कहा कि नीतीश के साथ सरकार चलाना “अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने” जैसा होगा।
- सरकार की कार्यक्षमता पर सवाल: उन्होंने नीतीश कुमार को “थका हुआ नेता” बताते हुए कहा कि उनकी सरकार में फैसले रिटायर्ड अधिकारी लेते हैं।
- भरोसे की कमी: तेजस्वी ने संकेत दिया कि नीतीश का एनडीए छोड़ने और महागठबंधन में लौटने का कोई ठोस आधार नहीं है।
Tejashwi Yadav: पर्दे के पीछे का खेल
सवाल यह भी है कि क्या नीतीश कुमार ने वास्तव में महागठबंधन में लौटने के संकेत दिए थे, या यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी थी? तेजस्वी के बयान से यह तो साफ है कि राजद अब नीतीश के साथ जुड़ने में रुचि नहीं रखता।
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राजनीति का अगला कदम
नीतीश कुमार के लिए तेजस्वी यादव का यह स्पष्ट रुख एनडीए में उनकी स्थिति को और मजबूत बना सकता है। दूसरी ओर, यह बयान बिहार की आगामी चुनावी राजनीति में तेजस्वी और नीतीश दोनों के लिए नई रणनीतियों का संकेत है।
बिहार की राजनीति में यह सियासी खींचतान किस ओर मुड़ेगी, यह देखने लायक होगा। लेकिन एक बात तय है, तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के साथ अपने संबंधों का अध्याय बंद कर दिया है।