Prashant Kishor को जब जेल ले जाया जा रहा था, तब हालात अचानक बेकाबू हो गए। उनके समर्थकों और पुलिस के बीच हुई धक्का-मुक्की ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।
इस दौरान एक सिपाही का हाथ टूटने की खबर सामने आई है, जिससे पूरे घटनाक्रम ने और गंभीर रूप ले लिया है।
क्या हुआ था?
घटना तब हुई जब पुलिस प्रशांत किशोर को स्थानीय अदालत के आदेश के बाद जेल ले जा रही थी। जैसे ही यह खबर बाहर आई, बड़ी संख्या में उनके समर्थक जेल के बाहर जमा हो गए। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी शुरू कर दी और पुलिस वैन को रोकने की कोशिश की।
Prashant Kishor: कैसे मची भगदड़?
स्थिति उस समय बिगड़ गई जब कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, लेकिन भीड़ उग्र हो गई। धक्का-मुक्की के दौरान एक सिपाही का हाथ टूट गया और कुछ अन्य पुलिसकर्मी भी चोटिल हो गए।
पुलिस का क्या कहना है?
पुलिस के मुताबिक, प्रशांत किशोर के समर्थकों ने कानून-व्यवस्था को चुनौती दी। एक अधिकारी ने कहा, “हमने संयम बनाए रखा, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने हिंसा का सहारा लिया। हम उन पर कार्रवाई करेंगे जिन्होंने कानून तोड़ा है।”
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Prashant Kishor के समर्थकों का पक्ष
दूसरी ओर, प्रशांत किशोर के समर्थकों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें उकसाया और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से नहीं संभाला। उनका दावा है कि यह साजिश के तहत किया गया, ताकि प्रशांत किशोर की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।
राजनीतिक प्रभाव
इस घटना ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। प्रशांत किशोर के विरोधी इस मुद्दे को उनके खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि उनके समर्थकों के लिए यह एकजुटता दिखाने का मौका है।
Prashant Kishor की आगे की कार्रवाई
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की पहचान करने के लिए वीडियो फुटेज की जांच शुरू कर दी है। उधर, प्रशांत किशोर की टीम ने इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बताते हुए न्यायिक जांच की मांग की है।
यह घटना केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने वाला प्रकरण बन चुकी है। आने वाले दिनों में इस मामले पर और भी विवाद देखने को मिल सकता है।