Pappu Yadav: बिहार के गोपालगंज में शिक्षक अरविंद यादव की हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस घटना को लेकर पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की और मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की।
उन्होंने इस हत्याकांड को राजनीतिक साजिश का हिस्सा बताते हुए इसमें कई राजनीतिक दलों के नेताओं की संलिप्तता का आरोप लगाया। इसके साथ ही उन्होंने ज्ञापन सौंपकर बिहार में बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर गहरी चिंता व्यक्त की।
हत्याकांड का मामला
यह मामला 10 जनवरी को गोपालगंज के उचकागांव थाना क्षेत्र में सामने आया था, जब शिक्षक अरविंद यादव को स्कूल जाते समय गोली मार दी गई। अरविंद यादव की राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है; वे पूर्व में मुखिया रह चुके थे और उनके बेटे विश्वजीत यादव वर्तमान में उचकागांव के प्रखंड प्रमुख हैं।
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इस मामले में झीरवां पंचायत के मुखिया मोहम्मद नजीर आलम, उनके बेटे जावेद उर्फ टुना, और बीजेपी के पूर्व प्रखंड महामंत्री नीरज सिंह समेत पांच लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने मुठभेड़ के बाद शूटर अभिषेक यादव को गिरफ्तार किया और उससे पूछताछ जारी है।
Pappu Yadav के आरोप
पप्पू यादव ने इस घटना के पीछे राजनीतिक साजिश की आशंका जताई है। उनका आरोप है कि गोपालगंज, सीवान, और छपरा जैसे इलाकों में राजनीतिक हत्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इन हत्याओं में जमीन, बालू और शराब माफिया का बड़ा हाथ है और सत्ता के संरक्षण में अपराधी बेखौफ होकर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
उन्होंने राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राजधानी पटना तक में एक ही दिन में चार हत्याएं होना राज्य में प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है।
Pappu Yadav ने राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
राज्यपाल से मुलाकात के दौरान पप्पू यादव ने जोर देकर कहा कि अरविंद यादव हत्याकांड की जांच सीबीआई या विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराई जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि वर्तमान जांच प्रक्रिया में निष्पक्षता की कमी है और दोषियों को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए।
यह मामला बिहार में राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बन गया है। अरविंद यादव की हत्या से जुड़े आरोपों और इसमें राजनीतिक दलों की कथित संलिप्तता ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस घटना ने बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, जो आगामी राजनीतिक माहौल को प्रभावित कर सकते हैं।