माँ शैलपुत्री कौन हैं?
माँ शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री कहा जाता है। “शैल” का अर्थ पर्वत होता है, इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इस रूप को देवी पार्वती का मूल रूप माना जाता है। माँ शैलपुत्री नंदी नामक वृषभ पर सवार होती हैं, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएँ हाथ में कमल का फूल होता है। इनकी पूजा करने से मानसिक स्थिरता, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
9 वर्षों के बाद 10 दिवसीय नवरात्रि
इस वर्ष नवरात्रि विशेष है क्योंकि पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि दो दिन पड़ रही है, जिससे यह दस दिवसीय नवरात्रि बन रही है। आमतौर पर नवरात्रि नौ दिनों की होती है, लेकिन इस वर्ष इसका विस्तार इसे और भी शुभ और फलदायी बना रहा है।
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देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है:
शारदीय नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
पूजा का महत्व क्या है?
यह आत्मनिरीक्षण, साधना और शक्ति की आराधना का समय है। भक्तजन व्रत रखते हैं, मंदिरों में विशेष अनुष्ठान करते हैं, और अपने घरों में देवी की मूर्तियाँ स्थापित करके प्रतिदिन उनकी पूजा करते हैं।