नवरात्रि के छठे दिन, देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है, जिन्हें शक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता है। इन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके धर्म की रक्षा की थी। देवी कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और शक्तिशाली माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी की पूजा करने से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इनकी पूजा करने से जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक शक्ति, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। देवी की कृपा से रोग, शोक और भय दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यह दिन अविवाहित कन्याओं के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी कात्यायनी की पूजा करने से विवाह के योग बनते हैं और योग्य वर की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस दिन कन्याएँ विशेष पूजा और व्रत रखती हैं।
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देवी कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को असाधारण मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, जिससे वे जीवन की चुनौतियों का साहसपूर्वक सामना कर पाते हैं।