Bihar News: बिहार की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ताज़ा बयान और हालिया राजनीतिक घटनाक्रम ने राजनीतिक विश्लेषकों को सकते में डाल दिया है। क्या नीतीश कुमार अपने पुराने ढर्रे पर लौटने की तैयारी कर रहे हैं? क्या वे एनडीए से दूरी बनाकर लालू यादव और आरजेडी के साथ गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं?

नीतीश कुमार का बयान और उठाए गए सवाल
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने वाले नीतीश कुमार ने अपने एक करीबी सहयोगी के बारे में एक ऐसा बयान दिया जिससे राजनीतिक अटकलें तेज़ हो गई हैं। उन्होंने अपने पूर्व सहयोगी के प्रति सहानुभूति जताने के लिए किस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया? इससे यह संकेत मिलने लगे कि वह अपनी वर्तमान राजनीतिक स्थिति से संतुष्ट नहीं हैं।
एनडीए से दूरी के संकेत
पिछले कुछ महीनों में नीतीश कुमार के भाजपा नेताओं के साथ बढ़ते तनाव और नीतिगत मतभेद सार्वजनिक हो गए हैं। उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर भाजपा के कुछ फैसलों की बार-बार आलोचना की है। चाहे जाति जनगणना हो या राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग, नीतीश कुमार के बयान हमेशा एनडीए की नीतियों से टकराते रहे हैं। इससे सवाल उठता है: क्या उन्होंने एनडीए से दूरी बनाने का फैसला कर लिया है?
यह भी पढ़े: राम विलास +2 उच्च विद्यालय बेरमो में लगातार हो रही है चोरी
क्या लालू के करीब आना फिर संभव है?
नीतीश कुमार और लालू यादव के राजनीतिक करियर में अक्सर टकराव देखने को मिलता रहा है, लेकिन समय-समय पर दोनों नेताओं ने परिस्थितियों के अनुसार गठबंधन भी किया है। महागठबंधन की यादें आज भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा हैं।
राजनीतिक रणनीति या मजबूरी?
यह भी संभव है कि नीतीश कुमार की हरकतें सिर्फ़ राजनीतिक दबाव बनाने के लिए हों। वह भाजपा को दिखाना चाहते हैं कि उनके पास विकल्प मौजूद हैं और वे एक बार फिर “किंगमेकर” की भूमिका निभा सकते हैं। नीतीश कुमार एक चतुर रणनीतिकार के रूप में जाने जाते हैं। वे समय के साथ अपनी दिशा बदलने में माहिर हैं। नीतीश कुमार के ताज़ा कदम और बयान निश्चित रूप से बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लाएँगे। हो सकता है कि वह एनडीए से दूरी बनाकर लालू यादव के साथ फिर से जुड़ जाएँ, या फिर यह सब सिर्फ़ एक राजनीतिक खेल हो सकता है। फ़िलहाल, राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाज़ार गर्म है, और आगे क्या होगा, यह तो वक़्त ही बताएगा।






