भारत सरकार ने गौतम अडानी (Adani Bribery Case) के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा दर्ज अभियोग पर स्पष्ट किया कि अमेरिका से कोई औपचारिक अनुरोध नहीं मिला है।
विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि यह एक निजी मामला है जिसमें अमेरिकी न्याय विभाग और संबंधित कंपनियां शामिल हैं।
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Adani Bribery Case: प्रत्यर्पण संधि और कानूनी प्रक्रियाएं
भारत में किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए अमेरिकी अधिकारियों को गृह मंत्रालय को सूचित करना आवश्यक है। इसके बाद गृह मंत्रालय संघीय एजेंसियों को कार्रवाई के निर्देश देता है। अगर अमेरिका अडानी को आरोपों का सामना करने के लिए बुलाना चाहता है, तो उसे भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत सबूत और प्रभाव पेश करना होगा।
Adani Bribery Case: क्या हैं आरोप?
- अमेरिकी फेडरल कोर्ट में गौतम अडानी की कंपनी पर 2020-2024 के बीच भारतीय अधिकारियों को $265 मिलियन (लगभग ₹2236 करोड़) रिश्वत देने का आरोप है।
- आरोप है कि यह रिश्वत सोलर एनर्जी कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए दी गई।
- अमेरिकी निवेशकों को गुमराह कर झूठे वित्तीय दावे और लोन लेकर दो अरब डॉलर के मुनाफे का अनुमानित लाभ लेने की योजना का भी आरोप है।
अडानी ग्रुप का बयान
अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को “निराधार” बताया और कहा कि कंपनी ने हमेशा कानून के दायरे में रहकर काम किया है।
क्या आगे हो सकता है?
अगर अमेरिका इन आरोपों पर कार्रवाई करना चाहता है, तो प्रत्यर्पण संधि के तहत भारतीय अधिकारियों के साथ समन्वय करना होगा। मामले की कानूनी जांच और स्थापित प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा।