Ranchi: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद Jharkhand की राजनीति में हलचल मचने की संभावना है. झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस-राजद के गठबंधन वाली सरकार में कई स्तरों पर बदलाव के आसार हैं.
लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर कल्पना सोरेन सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरी हैं. बड़ा सवाल यह है कि अगर कल्पना सोरेन गांडेय विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचती हैं तो क्या वह सरकार के मौजूदा मुखिया चंपई सोरेन की जगह लेंगी?
जब यह सवाल कल्पना सोरेन से कई इंटरव्यू में पूछा गया तो उनका डिप्लोमैटिक जवाब था “यह मेरा लुकआउट नहीं है. कोई भी निर्णय पार्टी और संगठन की ओर से लिया जाएगा. पार्टी नेतृत्व ही तय करता है कि किसकी भूमिका क्या होगी.”
Jharkhand Politics: सियासत के जानकार क्या कहते हैं?
सियासत के जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर में होने हैं और मौजूदा सरकार के कार्यकाल के महज 5-6 महीने बचे हैं. ऐसे में झामुमो का नेतृत्व कल्पना सोरेन के लिए चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाने की जोखिम नहीं लेगा. ऐसा करने से पार्टी में आंतरिक कलह गहरा सकता है और टूट की स्थिति भी पैदा हो सकती है. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए संभव है कि कल्पना सोरेन को अगले कुछ महीनों के लिए राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में जगह दी जाए.
मंत्रिमंडल में वह स्वाभाविक तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ही ‘प्रतिनिधित्व’ करेंगी और सरकार पर प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर उनका काफी हद तक नियंत्रण होगा. यह देखा जाना बाकी है कि झारखंड की सियासत में आने वाले दिनों में क्या परिवर्तन होते हैं और कल्पना सोरेन की भूमिका इसमें कितनी महत्वपूर्ण होगी. लेकिन स्पष्ट है कि उनकी उभरती हुई छवि और जनता के बीच उनकी लोकप्रियता उन्हें एक महत्वपूर्ण राजनीतिक व्यक्तित्व बना रही है.