Jharkhand News: चुनाव से ठीक पहले जेएलकेएम सुप्रीमो जयराम महतो के साथ खेला हो गया है। दरअसल जयराम के साथ भाषा आंदोलन में शुरू से कंधा से कंधा मिलाकर चले अकील अख्तर(Akil Akhtar) उर्फ रिजवान क्रांतिकारी ने जेएलकेएम को बड़ा झटका देते हुए झामुमो का दामन थाम लिया है। इसके साथ ही गांडेय प्रत्याशी अकील अख्तर ने अपना नामांकन वापस लेने की भी घोषणा कर दी है। जिससे गांडेय से जेएमएम उम्मीदवार सह हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का विधानसभा जाने का रास्ता काफी हद तक साफ हो गया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को रांची में अकील अख्तर को झामुमो की सदस्यता ग्रहण कराया। पार्टी का मुस्लिम चेहरा बन चुके अकील अख्तर ने ऐसे समय पर पार्टी छोड़ जयराम महतो को गांडेय सीट पर चारों खाने चित कर दिया है। दरअसल गांडेय सीट से जेएलकेएम का कोई भी दूसरा उम्मीदवार अब नामांकन नहीं कर सकेगा, क्योंकि नामांकन करने की तिथि समाप्त हो चुकी है। इस खेला के बाद अब गांडेय विधानसभा सीट पर जेएलकेएम का कोई भी उम्मीदवार चुनाव मैदान में नजर नहीं आएगा।
बता दें कि गांडेय विधानसभा सीट से मुस्लिम प्रत्याशी देकर जयराम महतो ने हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी सह गांडेय से जेएमएम प्रत्याशी कल्पना सोरेन को परेशानी में डाल दिया था, लेकिन एन मौके पर झामुमो ने खेला कर जयराम महतो को ही चारों खाने चित्त कर दिया है। झटका दे दिया।
अकील अख्तर के चुनावी मैदान में रहने से भाजपा को भी काफी फायदा हो सकता था। दरअसल, अकील के चुनाव लड़ने से इस सीट पर मुस्लिम वोटो का बिखराव होता। जिससे झामुमो के लिए यह खतरनाक तो वहीं भाजपा के लिए ये फायदेमंद साबित हो सकता था।
ज्ञात हो, कुछ माह पहले अकील अख्तर उस समय चर्चा में आए थे, जब टुंडी में बालू वाहनों से अवैध वसूली का उनपर आरोप लगा था। इसके बाद उन्हें पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था।
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