New Delhi: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रोफेसर Amartya Sen का कहना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी वक्त के साथ काफी मैच्योर हो गए हैं.
परंतु उनकी असल परीक्षा यह होगी कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की मौजूदा सरकार में संसद में विपक्ष का नेतृत्व कैसे करते हैं. 90 वर्षीय सेन ने बताया कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने न केवल उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित किया है बल्कि देश के राजनीतिक परिदृश्य को भी समृद्ध किया है.
आगे उन्होंने कहा कि कैसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज में स्टूडेंट के रूप में राहुल गांधी इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि जीवन में वह क्या-क्या करना चाहते हैं क्योंकि उसे वक्त राजनीति उन्हें आकर्षित नहीं करती थी.
उन्होंने बताया कि ‘मुझे लगता है कि राहुल गांधी अब काफी मैच्योर व्यक्ति है. मैं उन्हें उस समय से जानता हूं जब वे ट्रिनिटी कॉलेज के स्टूडेंट थे. वह कॉलेज जहां मैं पढ़ाई की एवं बाद में उसमें मास्टर बन गया. उसे वक्त मुझसे मिलने राहुल गांधी आए थे एवं वह उसे वक्त ऐसे व्यक्ति थे जो इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं थे कि वह आगे क्या करना चाहते हैं. ऐसा लगता था कि उसे वक्त उन्हें राजनीति पसंद नहीं थी.
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भारत रत्न से सम्मानित अमर्त्य सेन ने बताया कि कांग्रेस नेता को राजनीति में अपनी शुरुआती दिनों में भले ही कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा परंतु बीते कुछ वर्षों में उनमें काफी बदलाव आया है तथा उनका हालिया प्रदर्शन असाधारण रूप से अच्छा रहा है. मैं इसकी बहुत सराहना करता हूं.’
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आगे उन्होंने बताया कि ‘मैं इस बात का उत्तर नहीं दूंगा. यह समझना बहुत कठिन है कि लोग पीएम कैसे बनते अमर्त्य सेन ने मुस्कुराते हुए कहा ‘जब मैं दिल्ली में स्टूडेंट था तब यदि कोई मुझसे पूछता कि मेरे से पार्टियों में से किसके पीएम बनने की संभावना सबसे कम है तो मैं मनमोहन सिंह का नाम लेता क्योंकि उन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी परंतु फिर भी वह पीएम बने और मुझे लगता है कि वह एक बेहतरीन पीएम बने. इसलिए इन चीजों की भविष्यवाणी करना कठिन है.’