झारखंड में विधानसभा चुनाव प्रचार तेज होते हुए राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। गृह मंत्री Amit Shah ने शनिवार को दुमका में एक रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी सरकार पर तीखा हमला बोला।
उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन कांग्रेस की मदद से “पिछले दरवाजे से” मुसलमानों को आरक्षण देने की तैयारी कर रहे हैं।
मुस्लिम आरक्षण की कोशिश: Amit Shah
अमित शाह ने कहा कि सोरेन सरकार वोट बैंक की राजनीति के तहत यह कदम उठा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि भाजपा कांग्रेस और झामुमो की ऐसी किसी भी योजना को सफल नहीं होने देगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड में घुसपैठियों को बढ़ावा देकर आदिवासियों के अधिकारों को कमजोर किया जा रहा है।
शाह ने कहा, “हेमंत सोरेन ने आदिवासी महिलाओं से शादी के जरिए घुसपैठियों को झारखंड में बसने की छूट दी है। इससे आदिवासी समुदाय की जमीन छिनी जा रही है और उनकी आबादी में गिरावट हो रही है।”
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मोदी सरकार बनाम मनमोहन सरकार: आर्थिक मदद पर दावा
अमित शाह ने केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में झारखंड को 10 साल में 3.90 लाख करोड़ रुपये मिले, जबकि पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार ने झारखंड को सिर्फ 84,000 करोड़ रुपये दिए थे।
शाह ने आरोप लगाया, “हेमंत सोरेन की सरकार भ्रष्टाचार और धन की लूट में लिप्त है। लेकिन 23 नवंबर के बाद उनकी विदाई तय है।” उन्होंने वादा किया कि भाजपा के सत्ता में आने पर राज्य में उद्योग स्थापित किए जाएंगे, ताकि झारखंड के युवाओं को रोजगार के लिए अन्य राज्यों में पलायन न करना पड़े।
झारखंड को नक्सलवाद से मुक्त करने का वादा
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में झारखंड को काफी हद तक नक्सलवाद से मुक्त किया गया है। उन्होंने दावा किया कि जो बचा हुआ नक्सल प्रभाव है, उसे 2025 तक पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।
पुनर्वास और रोजगार पर जोर
अमित शाह ने भरोसा दिलाया कि भाजपा सरकार परियोजनाओं के लिए विस्थापित होने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए योजनाएं सुनिश्चित करेगी। उन्होंने झारखंड में रोजगार और विकास को प्राथमिकता देने का वादा करते हुए कहा कि भाजपा राज्य में व्यापक बदलाव लाएगी।
भाजपा और झामुमो-कांग्रेस गठबंधन आमने-सामने
चुनाव के मद्देनजर भाजपा और झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के बीच राजनीतिक टकराव अपने चरम पर है। भाजपा जहां भ्रष्टाचार, घुसपैठ और आदिवासियों के मुद्दे उठा रही है, वहीं हेमंत सोरेन सरकार अपनी योजनाओं को जनता के बीच प्रस्तुत कर रही है। आगामी चरणों के मतदान में यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किसके पक्ष में अपना फैसला सुनाते हैं।