Babulal Marandi: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के करीब आते ही प्रदेश में सियासी गर्मी बढ़ने लगी है। विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रमुख नेता बाबूलाल मरांडी लगातार हेमंत सोरेन सरकार पर हमलावर हैं।
हाल ही में मरांडी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके 5 साल के शासन में कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं हुआ है। उन्होंने दावा किया कि सोरेन सरकार के पास जनता को बताने के लिए पांच उल्लेखनीय कार्य भी नहीं हैं।
झारखंड की चुनौतियों पर सरकार घिरी
बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार की कई विफलताओं को उजागर किया। उन्होंने हाल ही में झारखंड में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान दर्जनों युवाओं की मौत और जामताड़ा में अज्ञात बीमारी से आठ आदिवासियों की मौत के मुद्दों पर हेमंत सोरेन सरकार को घेरा। मरांडी का कहना है कि ये घटनाएं राज्य में खराब स्वास्थ्य सेवाओं और प्रशासनिक कुप्रबंधन का परिणाम हैं।
9″आदिवासियों के अधिकार छीने जा रहे हैं”- Babulal Marandi
मरांडी ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिन आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए झारखंड राज्य की स्थापना हुई थी, वे आज उसी हक से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रही है और बांग्लादेशी घुसपैठियों को सिर पर बैठा रही है। मरांडी के अनुसार, इस सरकार ने झारखंड की अस्मिता को खतरे में डाल दिया है और भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।
“स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली”
मरांडी ने झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राज्य के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के चलते कई लोगों की मौत हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री दलालों और बिचौलियों के प्रभाव में हैं और उनके पास ऐसा कोई ठोस मुद्दा नहीं है, जिसके आधार पर वे जनता से वोट मांग सकें।
रोजगार के मुद्दे पर सवाल
मरांडी ने हेमंत सोरेन की उस घोषणा की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने पांच लाख नौकरियां देने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि पांच साल बीतने के बाद भी सोरेन सरकार अपने इस वादे को पूरा नहीं कर पाई है। उनका कहना है कि राज्य के युवाओं का भविष्य अंधकार में है और सोरेन सरकार पूरी तरह से विफल रही है।
झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले बाबूलाल मरांडी के इन तीखे बयानों ने हेमंत सोरेन सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मरांडी के इन आरोपों से साफ है कि आगामी चुनाव में बीजेपी हेमंत सरकार की नीतियों और कामकाज को मुख्य मुद्दा बनाकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
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दूसरी ओर, हेमंत सोरेन को इस चुनौती का सामना करने के लिए ठोस रणनीति और कामकाज का विवरण प्रस्तुत करना होगा।