Jharkhand विधानसभा चुनाव 2024 से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एनडीए गठबंधन को बड़ा झटका लगा है।
जमुआ से भाजपा के विधायक केदार हाजरा और आजसू पार्टी के केंद्रीय उपाध्यक्ष उमाकांत रजक ने भाजपा और एनडीए को छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का दामन थाम लिया। इन दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कार्यशैली और उनके आदिवासी समाज के प्रति समर्पण की तारीफ करते हुए कहा कि वे झामुमो के माध्यम से समाज के विकास के लिए काम करेंगे।
Jharkhand News:भाजपा विधायक केदार हाजरा और AJSU नेता उमाकांत रजक झामुमो में शामिल
केदार हाजरा और उमाकांत रजक ने अपने समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर पहुंचकर झामुमो में शामिल होने की घोषणा की। हेमंत सोरेन ने इन दोनों नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए कहा कि ये दोनों नेता झारखंड के विकास और आदिवासी समाज को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि झामुमो और उसके गठबंधन का उद्देश्य सभी 81 सीटों पर भाजपा को पराजित करना है।
हेमंत सोरेन की नीतियों की तारीफ, आदिवासी समाज के लिए काम करने का संकल्प
उमाकांत रजक ने इसे अपनी “घर वापसी” बताते हुए भाजपा पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा झारखंड के बाहरी नेताओं के माध्यम से राज्य का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है, और यह जनता के लिए घातक साबित हो सकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा को घुसपैठ का मुद्दा केवल चुनाव के समय ही क्यों दिखता है, जबकि रघुवर दास की सरकार के दौरान यह मुद्दा कहीं नहीं उठाया गया था।
चुनाव से पहले एनडीए को बड़ा नुकसान, झामुमो का भाजपा पर तीखा हमला
केदार हाजरा ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि आदिवासी समाज की बेहतरी के लिए उन्होंने झामुमो में शामिल होने का निर्णय लिया है। हेमंत सोरेन की नीतियां आदिवासी समाज के लिए हितकारी हैं, और वे इसी उद्देश्य के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लेकर झामुमो से जुड़े हैं।
झारखंड में एनडीए के लिए यह बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है, खासकर तब जब विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं। अब देखना होगा कि इस राजनीतिक घटनाक्रम का झारखंड के चुनावी नतीजों पर क्या प्रभाव पड़ता है।