Bihar Vidhan Sabha Chunav में अभी एक साल बाकी है लेकिन राजनीतिक दलों ने अभी से अपनी रणनीतियां बनानी शुरू कर दी हैं. राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव अपनी ‘कार्यकर्ता आभार यात्रा’ के जरिए चार जिलों का दौरा पहले ही पूरा कर चुके हैं. इस यात्रा के जवाब में जनता दल यूनाइटेड ने ‘कार्यकर्ता समागम’ शुरू किया है जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और पूर्व नौकरशाह मनीष वर्मा कर रहे हैं.
Bihar Vidhan Sabha Chunav: मनीष वर्मा का मिशन
मनीष वर्मा जो कि आईएएस अधिकारी से नेता बने हैं बिहार के सभी 38 जिलों का दौरा करेंगे. इस दौरान वह जेडीयू कार्यकर्ताओं, सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों से मिलेंगे ताकि बिहार की सियासी नब्ज को समझ सकें. वह हर जिले में दो दिन प्रवास करेंगे जहां वह विभिन्न समूहों से मिलकर पार्टी की स्थिति का जायजा लेंगे और आगामी चुनाव के लिए रणनीतियां बनाएंगे. यह अभियान चार महीने चलेगा और इसका समापन 20 जनवरी 2025 को नालंदा में होगा.
Bihar Vidhan Sabha Chunav: ‘कार्यकर्ता समागम’ के उद्देश्य
‘कार्यकर्ता समागम’ का मुख्य उद्देश्य जेडीयू कार्यकर्ताओं के साथ संवाद स्थापित करना और उन्हें चुनावी तैयारी के लिए प्रोत्साहित करना है. मनीष वर्मा जिला और ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं से मिलकर उनकी समस्याओं को सुनेंगे और उनका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे. इसके साथ ही वह जेडीयू विधायकों और उम्मीदवारों से फीडबैक लेंगे और इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ साझा करेंगे.
Bihar Vidhan Sabha Chunav: तेजस्वी की ‘आभार यात्रा’ का जवाब
तेजस्वी यादव की आभार यात्रा ने जेडीयू के लिए चुनौती खड़ी की है. इस यात्रा में तेजस्वी ने समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी और मुजफ्फरपुर में कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया. इसके जवाब में जेडीयू का ‘कार्यकर्ता समागम’ तेजस्वी की रणनीति को कमजोर करने और पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने के लिए बनाया गया है. नीतीश कुमार ने मनीष वर्मा को इस मिशन की जिम्मेदारी सौंपी है क्योंकि वह न सिर्फ उनके करीबी हैं बल्कि कुर्मी समुदाय से भी आते हैं जो बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण वर्ग है.
Bihar Vidhan Sabha Chunav: बिहार की सियासी तस्वीर
बिहार में राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ रहा है. आरजेडी, जेडीयू और अन्य दलों ने अपने-अपने मोर्चे संभाल लिए हैं. प्रशांत किशोर जो कि चुनावी रणनीतिकार से नेता बने हैं भी बिहार में सक्रिय हो चुके हैं. उन्होंने अपनी पदयात्रा के दौरान विभिन्न जातीय समूहों से संवाद कर सियासी एजेंडा सेट करना शुरू कर दिया है. जेडीयू भी इस सियासी दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहती और ‘कार्यकर्ता समागम’ के माध्यम से बिहार की सियासी स्थिति को भांपने की कोशिश कर रही है.
Bihar Vidhan Sabha Chunav: मनीष वर्मा का राजनीतिक सफर
मनीष वर्मा ने आईएएस की नौकरी छोड़कर नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक सफर शुरू किया था. वह नालंदा से आते हैं जो कि मुख्यमंत्री का गृह जिला है. कुर्मी समुदाय से होने के कारण वह नीतीश कुमार के स्वजातीय भी हैं जिससे उनके ऊपर जेडीयू की बड़ी जिम्मेदारी आ गई है. इस ‘कार्यकर्ता समागम’ के माध्यम से वह न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार करेंगे बल्कि सरकार की योजनाओं पर भी चर्चा करेंगे ताकि आगामी चुनाव में पार्टी की स्थिति को मजबूत किया जा सके.
बिहार की राजनीति में तेजी से बदलती घटनाओं के बीच जेडीयू ने भी अपनी रणनीतियों को धार देना शुरू कर दिया है. आरजेडी और प्रशांत किशोर के चुनावी अभियानों के बाद अब जेडीयू भी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए ‘कार्यकर्ता समागम’ कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. इस अभियान की कमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी और विश्वसनीय मनीष वर्मा को सौंपी गई है जो अब बिहार की सियासी नब्ज को पकड़ने में जुटे हैं.
Bihar Vidhan Sabha Chunav: मनीष वर्मा का राजनीतिक उदय
मनीष वर्मा जो पहले आईएएस अधिकारी थे ने वीआरएस लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू किया. नवादा जिले से आने वाले वर्मा कुर्मी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जो बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण वर्ग है. नीतीश कुमार के स्वजातीय और करीबी होने के कारण मनीष वर्मा को जेडीयू के अंदर बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं.
वह अब जेडीयू के महासचिव के रूप में पार्टी की नीतियों को जमीनी स्तर पर लागू करने और आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. जेडीयू में मनीष वर्मा का कद तेजी से बढ़ता जा रहा है. वे पार्टी के भीतर एक ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं जो न सिर्फ कुर्मी समुदाय के बीच प्रभावी हैं बल्कि नीतीश कुमार के सबसे भरोसेमंद सहयोगी भी माने जा रहे हैं.
एक समय जेडीयू में जिस तरह से आरसीपी सिंह का कद बढ़ा था उसी तरह अब मनीष वर्मा पार्टी के अंदर मजबूती से उभर रहे हैं. आरसीपी सिंह के बीजेपी में जाने के बाद जेडीयू को एक नए कुर्मी चेहरे की जरूरत थी और मनीष वर्मा ने उस खाली स्थान को बखूबी भरने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं.
मनीष वर्मा का ‘कार्यकर्ता समागम’ अभियान
‘कार्यकर्ता समागम’ के तहत मनीष वर्मा बिहार के सभी 38 जिलों में जाकर जेडीयू कार्यकर्ताओं, सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों से मुलाकात कर रहे हैं. इस अभियान का मकसद न केवल पार्टी के अंदरूनी ढांचे को मजबूत करना है बल्कि आगामी चुनावों के लिए एक ठोस रणनीति तैयार करना भी है. हर जिले में दो-दो दिन प्रवास कर मनीष वर्मा जेडीयू कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुन रहे हैं और उनकी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ साझा कर रहे हैं.