Gaya: मुसफ्फसिल थाना क्षेत्र में 2016 में हुई नक्सली वारदात के मामले में आठ साल बाद ब्रिजेश सिंह की गिरफ्तारी से विवाद खड़ा हो गया है। बुधवार रात एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई में उन्हें उनके गांव डबुर से गिरफ्तार किया गया। इसके अगले ही दिन पुलिस ने उन्हें नक्सली घोषित कर जेल भेज दिया। इस कार्रवाई पर उनके परिजनों ने गंभीर सवाल उठाए हैं और पुलिस पर निर्दोष को फंसाने का आरोप लगाया है।
शुक्रवार को गांधी मैदान में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में ब्रिजेश सिंह की पत्नी अनसुइया देवी और उनके भाई राजेश सिंह मीडिया के सामने भावुक हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने बिना किसी पूर्व सूचना या वारंट के अचानक घर में घुसकर ब्रिजेश सिंह को जबरन उठा लिया।
“कभी कोई नोटिस नहीं आया”
राजेश सिंह ने कहा, “आठ साल में पुलिस ने एक बार भी कोई नोटिस या समन नहीं भेजा। अगर किसी मामले में उनका नाम था तो हमें सूचना दी जानी चाहिए थी। वे पिछले कई सालों से खेती-बाड़ी कर रहे थे और किसी भी गैरकानूनी गतिविधि से उनका कोई लेना-देना नहीं है। अगर कोई दोष होता, तो हम खुद उन्हें पुलिस के हवाले कर देते।”
“पुलिस कर रही है चरित्र हनन”
ब्रिजेश सिंह की पत्नी अनसुइया देवी ने कहा कि उनके पति एक सीधे-साधे इंसान हैं और घर की हर बात उनसे साझा करते थे। “अगर वे किसी नक्सली गतिविधि में शामिल होते, तो मुझे जरूर पता होता। पुलिस बिना ठोस सबूत के उन्हें नक्सली बता रही है, जिससे एक निर्दोष परिवार को समाज में अपमान झेलना पड़ रहा है,” उन्होंने कहा।
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न्याय की लगाई गुहार
परिजनों ने प्रशासन से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। अनसुइया देवी ने कहा कि रामनवमी के कारण वे अब तक आईजी और एसएसपी से मुलाकात नहीं कर सकीं, लेकिन जल्द ही उनसे मिलकर अपने पति की बेगुनाही के सबूत पेश करेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार को हस्तक्षेप कर इस मामले में न्याय दिलाना चाहिए, ताकि निर्दोष को सजा न मिले।
स्थानीय लोगों ने भी इस गिरफ्तारी को लेकर हैरानी जताई है और जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। अब देखना यह होगा कि पुलिस इस मामले में आगे क्या कदम उठाती है और क्या ब्रिजेश सिंह को न्याय मिल पाएगा।