Buxar News – बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव उस वक्त देखने को मिला जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और व्यवसायी मिथिलेश पाठक ने पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने सैकड़ों समर्थकों के साथ चर्चित रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जनसुराज यात्रा से जुड़ने की घोषणा की। इस घटनाक्रम ने स्थानीय ही नहीं, बल्कि राज्य की राजनीति में भी हलचल मचा दी है।
मीडिया से बातचीत में मिथिलेश पाठक ने बताया कि भाजपा की मौजूदा नीतियों से वे अब खुद को नहीं जोड़ पाते। उन्होंने कहा कि पार्टी अब आम जनता की समस्याओं से कट गई है और लोगों की आवाज सुनने में नाकाम हो रही है। ऐसे समय में उन्होंने जनसुराज आंदोलन को एक बेहतर विकल्प मानते हुए इससे जुड़ने का निर्णय लिया।
जनसुराज आंदोलन, जो प्रशांत किशोर के नेतृत्व में चल रहा है, पारदर्शी और भागीदारी आधारित राजनीति की वकालत करता है। इसका मकसद है आम जनता को नीति निर्माण की प्रक्रिया में शामिल करना और राजनीति को फिर से जनसेवा का माध्यम बनाना।
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मिथिलेश पाठक ने कहा कि अब उनका लक्ष्य घर-घर जाकर जनसुराज की विचारधारा को फैलाना और जनता के असली मुद्दों को उठाना होगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह केवल एक राजनीतिक फैसला नहीं है, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की दिशा में उठाया गया कदम है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मिथिलेश पाठक जैसे जमीनी नेता का जनसुराज से जुड़ना बिहार में नए सियासी समीकरणों को जन्म दे सकता है और आगामी चुनावों में विपक्ष को मजबूती मिल सकती है।