पटना: केंद्र सरकार की जाति जनगणना की घोषणा के बाद जहां महागठबंधन की राजनीतिक रणनीति पर दबाव बढ़ा है, वहीं राजद नेता Tejashwi Yadav ने इस मोर्चे पर अपना ‘मास्टर-स्ट्रोक’ चल दिया है।
My letter to PM Sh. @narendramodi Ji.
The decision to conduct the caste census can be a transformative moment in our nation’s journey towards equality. The millions who have struggled for this census await not just data but dignity, not just enumeration but empowerment.… pic.twitter.com/t2uszNfjOH
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 3, 2025
उन्होंने आरक्षण का नया फॉर्मूला पेश करते हुए सरकारी ठेके, निजी नौकरियों, न्यायपालिका और चुनावी क्षेत्रों में ओबीसी–ईबीसी के लिए विशेष प्रतिनिधित्व की मांग की है।
जाति जनगणना को बताया ‘परिवर्तनकारी क्षण’
तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जाति गणना का निर्णय लेने पर आभार जताया है। पत्र में उन्होंने लिखा:
“यह सिर्फ आंकड़ों की नहीं, बल्कि सम्मान और सशक्तीकरण की प्रतीक्षा कर रहे करोड़ों लोगों के लिए परिवर्तनकारी क्षण है।”
Tejashwi Yadav का नया सामाजिक न्याय रोडमैप
एक्स (पूर्ववर्ती ट्विटर) पर साझा रोडमैप के अनुसार, राजद अब इन प्रमुख मांगों को लेकर मैदान में है:
- जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण
- ओबीसी–ईबीसी के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र
- निजी क्षेत्र, ठेकेदारी और न्यायपालिका में आरक्षण
- मंडल आयोग की शेष अनुशंसाओं का क्रियान्वयन
- बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज
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Tejashwi Yadav: महागठबंधन की बेचैनी और बचाव की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जाति जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार की घोषणा से विपक्ष को बड़ा झटका लगा है। तेजस्वी यादव ने अब इस मुद्दे पर आरक्षण की मांग के साथ ‘संघर्ष की विरासत’ को फिर से जागृत करने की कोशिश की है, जिससे राजद को मंडल युग जैसी राजनीतिक पुनरावृत्ति की उम्मीद है।
ओबीसी–ईबीसी प्रतिनिधित्व और सामाजिक असमानता पर चिंता
तेजस्वी ने कहा कि बिहार में ओबीसी–ईबीसी की जनसंख्या लगभग 63% है, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व अभी भी न्यूनतम है। जाति जनगणना के आंकड़ों के आधार पर आरक्षण की सीमा और सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही, निजी उद्योगों में भी समाज की विविधता का प्रतिबिंब होना चाहिए।
राजनीतिक भाषा पर सवाल
हालांकि तेजस्वी यादव की तीखी भाषा और भाजपा–RSS पर व्यक्तिगत आरोपों को लेकर राजनीतिक मर्यादा पर भी सवाल उठने लगे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की यह पहल भी भाजपा की मंशा से नहीं, बल्कि समाजवादी दबाव के कारण हुई है।
“आज जो भाजपा और संघ हमारे एजेंडे को ‘मास्टर-स्ट्रोक’ बता रहे हैं, वे कभी हमें गाली देते थे। कितने खोखले लोग हैं ये!” – तेजस्वी यादव
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